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आदर्श जीवन ।
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तैयबजी जज, तर्क वाचस्पति पंडित बद्रीनाथ शास्त्री, मि०आंबेगाँवकर, और मि० लाल भाई जौहरी, पाटनके सुप्रसिद्ध वकील लेहरु भाई आदि।
व्याख्यान प्रारंभ होनेके पहले श्रीयुत लालभाई जौहरीने आपका संक्षेपमें परिचय देते हुए कहा था कि-" आपकी विद्वत्ता और साधुताके संबंधमें विशेष कहना सोनेपर मुलम्मा चढ़ाना है । जिस प्रकार अपने महाराजा साहबकी न्याय शासन और प्रजाप्रियता आदि श्रेष्ठगुणों द्वारा संसार भरमें फैलनेवाली निर्मल कीर्तिका हमें आभिमान है इसी तरह मुनि श्रीवल्लभविजयजी महाराजकी जन्मभूमि बड़ोदा होनेसे आपके निर्मल चरित्र और परोपकारीजीवन पर भी हमें अभिमान है।"
दूसरे व्याख्यानके समय एक बात बडी मजेदार हुई। व्याख्यानमें लोगोंको आनंद आरहा था । सूर्यास्त होनेमें सिर्फ एक घंटा रह गया था । आप बोले:-" आप जानते हैं कि जैन साधु रातमें अन्नोदक नहीं लेते; न वे किसीके घर जाकर खाते हैं और न किसी गृहस्थका लाकर दिया हुआ ही खाते हैं। इस लिए मैं अपना व्याख्यान शीघ्र ही समाप्त कर दूंगा। अन्यथा देर होनेसे साधुओंको. भूखा रहना पड़ेगा । मैंने तो आज एकासन किया है, मगर दूसरोंको तो भोजन करना है।"
श्रीमान संपतराव गायकवाड़ बोले:--" महाराज हम
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