________________
आदर्श जीवन।
साथ सं० १९७५ का चौमासा अहमदाबादमें किया
और आनंदकी अभिवृद्धि की । बड़ोदेको इस बातका गर्व है कि उसने मुनि श्रीहंसविजयजी महाराज, प्रवर्तकजी श्रीकान्तिविजयजी महाराज और आप जसे, महान और प्रभाविक तीन आत्माओंको जैन समाजकी सेवाके लिए भेट किया है।
पन्यासजी महाराज श्रीसंपत्तिविजयजीकी अति कृपाका यह फल हुआ कि, उन्होंने अहमदाबादके चौमासेमें हमारे चरित्रनायकके सुशिष्य मुनि श्रीललितविजयजी तथा विद्याविजयजीको महानिशीथका और अन्यान्य शिष्योंको अन्यान्य योगोद्वहन कगये थे।
इस प्रकार सं० १९७५ का बत्तीसवाँ चौमासा आपने अहमदाबादमें समाप्त किया। अहमदाबादसे मार्गशीर्ष वदी३ के दिन आपने विहार किया। शान्त मूर्ति मुनिमहाराज श्रीहंसविजयजी और पंन्यासजी महाराज श्रीसंपतविजयजी भी, आपकी अपने प्रति अकृत्रिम श्रद्धा देखकर, नरोडा गाँवतक आपके साथ ही पधारे थे। अनेक श्रावक श्राविकाएँ भी साथमें गये थे। नरोड़ामें अहमदाबाइके आये हुए श्रीसंघने आपकी बनाई पंचतीर्थी पूजा पढ़ाकर साधर्मी वात्सल्य किया था।
नरोडाले श्रीहंसविजयजी महाराज और पंन्यासजी श्री संपतविजयजी महाराज वापिस अहमदाबाद पंधार गये ये
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org