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आदर्श जीवन ।
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मुख्य श्रावक आते हैं और पंजाब में विहार करनेका आग्रह करते हैं । "
श्रावक बोले: “ पंजाब और बीकानरके श्रावक ही क्या आपको विशेष प्रिय हैं ? हमारी तो आप ऐसी उपेक्षा करते हैं मानों हम श्रावक ही नहीं हैं, हमें अपने धर्मका और अपने गुरुओंका राग ही नहीं हैं । "
आप बोलेः " आप लोगोंका यह आग्रह ही बताता है कि, आप देवगुरुके अत्यंत भक्त हैं; इतना होनेपर भी मुझसे यह कहे बिना नहीं रहा जाता कि आप अविद्याके पोषक हैं । आप ज्ञानमचारका उद्योग नहीं करते । ज्ञानप्रचारके बिना इस भक्तिका विशेष उपयोग नहीं होता । पंजाब के श्रावक ज्ञानप्रचारका उद्योग करते हैं; बीकानेर में उद्योग जारी है । इसी लिए वहाँ जानेकी इच्छा होती है । मुझे अपनी भक्ति करानेसे विद्या प्रचार कराना, सभीको धर्मज्ञान कराना ज्यादा अच्छा लगता है । अगर तुम भी विद्या प्रचारका उद्योग करो तो मैं यहीं चौमासा करनेके लिए तैयार हूँ । मेरे लिए तो सभी स्थान और सभी श्रावक एकसे हैं; होना चाहिए धर्मज्ञानका उद्योत । ”
श्रावकोंने प्रसन्नता से उत्तर दिया:- “ हम आपकी आज्ञा पालने को तैयार हैं । बतलाइए हम क्या करें ? "
आपने फार्माया:- " गोडवाडमें एक महा विद्यालय स्थापित करो । गोडवाडके सभी गाँवोंमें उसकी शाखाकी तरह एक
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