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आदर्श जीवन ।
चलती जैन पाठशालाकी तरफसे सन्मानपत्र दिया गया । इस प्रसंगपर नगरके रईस लोगोंके अलावा बीकानेरवाले सेठ श्रीचंद्रजी सुराणा और उनके सुपुत्ररत्न सेठ सुमेरमलजी सुराणा भी सपरिवार मौजूद थे ।
इस सुप्रसंगपर आपका प्रभावशाली व्याख्यान हुआ था । आपकी आज्ञा होनेसे पं० श्रीललितविजयजी महाराजने भी संघवीका कर्त्तव्य इस विषयपर मनोहर व्याख्यान दिया था । फल यह हुआ कि सहकुटुंब संघवीजीने ' श्रीआत्मानन्द जैन विद्यालय गोडवाड' को दश हजारकी रकम देनेका वचन दिया । तथा संघपति गोमराजजीने यावज्जीवन चौथे व्रत ब्रह्मचर्य के पालने की प्रतिज्ञा की ।
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फागन सुदि सप्तमीको शुभ शकुनमें खूब बाजोंकी ध्वनिके साथ जय जय नाद करता हुआ संघ चल पड़ा | संघ पेरवा पहुँचा । वहाँ एक मंदिर और ४० श्रावकोंके घर हैं । पैरवासे सादड़ी गया । सादड़ीमें तीन मंदिर और ६०० श्रावकोंके घर है । सादड़ीसे बाली पहुँचा । वहाँ दो मंदिर और ५०० श्रावकोंके घर हैं । बालीसे लुणावे पहुँचा । वहाँ दो मंदिर और दो सौ घर हैं । लुणावेसे लाठारे पहुँचा। वहाँ एक मंदिर और ३० घर हैं। लाठारेसे राणकपुरजी पहुँचा । यहाँका मंदिर बहुत ही भव्य है । इसमें चौदह सौ चवालीस स्तंभ हैं । कहा जाता है कि सभी स्तंभ एक श्रावकने बनवाये थे, एक स्तंभ राजाने बनवानेकी इच्छा प्रकट की मगर वह न
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