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आदर्श जीवन।
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करनेवाले हैं, इस लिए विश्वास है कि कार्य निर्विघ्नतया पूरा होगा । शासनदेव सहायता देंगे।
"मैं एक पामर प्राणी, अल्पज्ञ, पृथ्वीको भारभूत गृहस्थोंके मुफ्तमें टुकड़े खानेवाला हूँ। महा मुनिराजश्रीके इस कार्यका बार बार अनुमोदन करता हूँ। और आपसे भी निवेदन करता हूँ कि इस कामको आप महाराजश्रीके चातुर्मास हैं वहीं तक प्रारंभ करा दें और मनुष्य भवको सफल करें।
श्रीमहाराज साहबको हमारी सविनय वंदना अर्ज करें।" ___ इसी तरह पंजाबके श्रीसंघका एक पत्र आया था। इसमें आपसे पंजाबमें पधारनेकी विनती दुखे हुए सच्चे दिलसे की गई है। उस प्रेम-पंजाबियोंके परमप्रेम-का दिग्दर्शन करा नेके लिये उसको भी यहाँ उद्धृत करना उचित समझा गया है। ___ "मेरे परम प्यारे श्रीगुरु महाराजजी, सेवकोंकी वंदना १००८ वार मंजूर हो । साहबजी क्या वह दिन भूल गये जो गुरु महाराजका वचन था। गुरु महाराजका अगर वचन ज्यादा है तो एकदम पंजाबकी तरफ विहार करो अगर आरामसे संयमकी पालना करना है तो गुजरातमें आनंद लो। याद रक्खो जबतक पंजाबमें न आओगे तबतक महाराजके सच्चे सेवक न होओगे । इधर कुगुरुका जोर हो रहा है। जगह जगह लेकचर दे रहे हैं। क्या मूरजका यह काम है कि एक जगह ठहरे और बाकी जगह पर अंधेरारक्खे । वहाँ उल्लुओं
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