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आदर्श जीवन
(५) अभुठिओ खामकर वंदना करनेका रिवाज मालूम नहीं देता है परंतु खड़े खड़े हाथ जोड़कर थोभवंदना करनेका
और सुख साता पूछनेका प्रचार तो गुजरात आदि देशोंमें नजर आता है।
(६) छेद सूत्रांतर्गत होनेसे कल्पसूत्र वाँचना साध्वी को योग्य नहीं है । मुख्यतया तो साध्वीको व्याख्यान वाँचनेका ही अधिकार नहीं है । यदि किसी कारणवश वाँचना हो तो पुरुषकी पर्षदा किनारेपर एक तरफ बैठे और बाइयाँ साध्वी के सामने बैठे। और साध्वी नीचे अपने आसन पर ही बैठकर सुनावे तो सुना सकती है। ऐसा स्वर्गवासी गुरु महाराजसे सुना याद है और तपागच्छकी साध्वियोंमें कहीं कहीं ऐसा रिवाज सुनाई और दिखाई भी देता है । भाषाका कल्पसूत्र यदि साध्वीजी बाइयोंको सुनावे और दूसरा कोई योग न होनेसे पूर्वोक्त रीतिसे श्रावक भी सुनना चाहें तो सुन सकते हैं।
(७) खाना पकानेवालीको सतक नहीं लगता बशरते तुम्हारे लिखे मुजिब प्रमुताके साथ लगा होवे तो स्नानादिसे शुद्ध होनेसे दोष हट जाता है।
सादड़ीमें श्वेतांबर कॉन्फरेंसका जल्सा जब समाप्त हो चुका तब शिवगंजके सेठ गोमराज फतेहचंद आये । ये गोडवाड़के एक प्रसिद्ध व्यापारी हैं । बंबई और रंगूनमें इनकी पेढ़ियाँ हैं। मुख्यतया इनका कपूरका रोजगार है । ये वंदनाकर आपके
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