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आदर्श जीवन।
को मौज करने दे । सेवकोंका कोई वचन खराब हो तो माफी माँगते हैं। दुश्मनोंके जगह जगह साधु संत हैं । यहाँ हम देख देख कर तरस रहे हैं। बहतर तो यह है कि रोटी गुजरातमें खाई हो तो पानी पंजाबमें आकर पीओ। हम अनाथोंको शरण दो।"
इसी चौमासेमें आसपुर (मेवाड:) के श्रावक श्रीयुत चंपालाल निहालचंद तारावतने आपसे सात प्रश्न पूछे थे। आपने उनके जो उत्तर दिये थे वे और प्रश्न उपयोगी समझ कर यहाँ दिये जाते हैं।
प्रश्न । १-स्नान किये बिना श्रावक प्रतिष्ठित प्रतिमाकी वासक्षेपसे पूजा कर सकता है या नहीं ? और ऋषिमंडल स्तोत्र एवं जाप शुद्ध वस्त्र पहनकर कर सकता है या नहीं?
२-आानक्षत्र बैठने पर आमका त्याग किया जाता है। यह गुजरातकी अपेक्षासे त्याग है कि पंजाबमें भी आद्राके बाद आगका त्याग कर देना पड़ता है ? आदीके बाद कलमी ( हापूस, पायरी, लंगड़ा, मालदा आदि जो तराशकर खाये जाते हैं ऐसे ) आम खाये जा सकते हैं या नहीं । आद्रोके पहले भी जिस श्रावकको सचित्का त्याग हो अथवा एकासना हो वह आमका रस खा सकता है या नहीं ?
३-यदि कोई पूर्णतया बारह व्रत न पाल सकता हो तो
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