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आदर्श जीवन।
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ज्ञानका प्रकाश किया है, उससे सुविद्याके कमल लिखते हैं और भव्य भ्रमर उनकी सुगंधका आस्वादन करते हैं।
" आज जैन समाजमें हजारों, लाखों ही नहीं बल्के करोड़ों रुपये धर्मके नामसे खर्च होते हैं। परन्तु समयानुसार शासनको लाभ पहुँचानेके कार्यमें बहुत ही कम रुपया खर्चा जाता है । मगर वल्लभविजयजी महाराजका प्रयत्न उच्च कोटिका है । आपकी विशालदृष्टिका विचार जैन कौमको बड़ा भारी फायदा पहुंचानेवाला है । उसके महत्वका वर्णन करना हमारी लेखिनीके बाहर है। - “आप लोगोंको भी धन्यवाद है कि आप लोग ऐसे महात्माओंके अमृत समान उपदेशसे अपनी चंचल लक्ष्मीका उपयोग शासन सेवामें करते हैं । आशा है आप इसी तरह अपना उत्साह बढ़ाते रहेंगे । शास्त्रकारोंने सभी दानोंमें ज्ञानदान. श्रेष्ठ बतलाया है। ___“ मरुस्थलादि कुछ देशोंमें आधुनिक अल्पज्ञ लोगोंकी वृत्ति प्रायः ऐसी भी दिखाई देती है कि, कार्यके आरंभमें तो उनके दिलोंमें बड़ा भारी उत्साह होता है, उसी उत्साहमें यदि कार्य प्रारंभ हो जाता है तो वह पूरा हो जाता है; परन्तु कार्यमें विलंब होता है तो कई महाशय अनेक प्रकारके विकल्प तथा जातिभेदके मतभेद लाकर डाल देते हैं और कार्यमें. विघ्न कर देते हैं। 1. " आप लोग तो महात्मा पुरुषोंके पदपजमें निवास
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