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आदर्श जीवन।
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लोगोंको प्रभु महावीर स्वामीके उपसर्गकी समाप्तिमें इंद्र, राजा, महाराजादि सुखसाता पूछने आये थे,-पर्युषणोंमें हर बरस यह बात सुनते हैं, वही बात याद आगई थी। समस्त गोडवाड़के ५२ गाँवोंके भी प्रायः श्रावक आपके पास बीजापुर, सेवाड़ी और लुणावेमें आये थे।
जोधपुर महाराजा साहबके पास भी कई तार इस मजमूनके गये कि, हमारे परम पूज्य गुरु आपके राज्यमें लुट गये हैं। इस लिए हम लोगोंके जी बड़े दुखी हुए हैं। आशा है आपके राज्यमें पवित्र महात्माओंको कष्ट पहुँचानेवालोंका आप उचित प्रबंध करेंगे।
उस समय जोधपुरका प्रबंध सर प्रतापसिंहजीके हाथमें था। इन तारोंसे उनको बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने अपने विश्वासु आदमियोंसे पूछा:-" ये ऐसे कान हैं जिनके लुट जानेसे सारे हिन्दुस्थानमें तहलका मच गया है ?" . उन्होंने हाथ जोड़ कर अर्ज की:-“ गरीब परवर ! जैनियोंके लिए तो वे एक अद्वितीय महापुरुष हैं । उनके लुट जानेसे लोगोंके दिलोंमें जो चोट पहुँची है उसका दर्द बतानेकी हममें शक्ति नहीं है।" ___ सर प्रतापसिंहजीने उसी समय पुलिसको हुक्म दिया कि, वह लुटेरोंको तत्काल ही गिरफ्तार करे । बड़ी कोशिशके बाद पुलिस एक आदमीको गिरफ्तार कर सकी । वह सरकारी
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