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आदर्श जीवन।
मालाका मुहूर्त नजदीक था, इस लिए आप कहीं न ठहरकर सीधे वैरावल पधारे।
वैरावलमें बड़े समारोहके साथ आपका सामैया हुआ । कहा जाता है कि, वैरावलमें ऐसी धूम और ऐसे उत्साहके साथ इसके पहले किन्हींका सामैया नहीं हुआ था। बाजारकी सारी दुकानें सजाई गई थीं और शहर भरमें ध्वजा पता काएँ लगवाई गई थीं । थोड़ी थोड़ी दूर पर गुहलियाँ (स्वागतगीत) गाई गई थीं । आपको कई लोगोंने सच्चे मोतियोंसे बधाया था। __ आपके वैरावलमें पहुँचते ही मालाका महोत्सव प्रारंभ हो गया था। समवसरणकी और नंदीश्वरद्वीपकी रचना हुई थी। रथयात्रा भी बड़े ठाठसे हुई । उपधानकी माला पहननेके समय सच्चे मोतियोंसे साथिया पूरा गया और मोहरोंसे ज्ञानपूजा हुई।
आपके उपदेशसे वैरावलमें दो संस्थाएँ स्थापित हुई। एकका नाम है 'श्रीआत्मानंदजैनस्त्रीशिक्षणशाला' और दूसरीका नाम है 'श्रीआत्मानंदजैनऔषधालय' ये संस्थाएँ महा सुदी १० सं० १९७३ के दिन स्थापित हुई थीं । उस समय शालाके लिए स्वर्गीय सेठ कालिदास अमरसीकी विधवाने दस हजार रुपये और वैरावलकी श्राविकाओंने चार हजार रुपये दिये थे।
औषधालयके लिए आपहीकी खास प्रेरणासे तीस हजार
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