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आदर्श जीवन।
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रिएगा । विशेष सविनय निवेदन है कि हमारा, समस्त संघका ऐसा अभिप्राय है कि, आप चातुर्मास करनेके लिए यहाँ श्रीगौडीजी महाराजके उपाश्रयमें पधारें। [इस पत्रके नीचे बंबईके करीब दो सौ मुखियाओंके हस्ताक्षर हैं।
पालीतानेसे वैरावलका संघ वापिस गया और आप भावनगरके श्रीसंघकी विनतीको स्वीकारकर महा सुदी १५ संवत् १९७३ के दिन भावनगर पधारे । संघने गुरुभक्ति दिखानेके लिए बड़े ठाठसे सामैया किया। आप 'मारवाड़ीकावंडा' के नामसे प्रसिद्ध उपश्रयमें ठहरे । वहाँ आपका एक सार्वजनिक व्याख्यान हुआ था। उसका विषय था 'वर्तमानमें हमें किसकी आवश्यकता है ?' आपके इस व्याख्यानसे जैनेतर लोग भी बहुत प्रसन्न हुए थे और वे प्रायः जबतक आप वहाँ रहे तबतक सदा व्याख्यानमें आया करते थे । दूसरा भाषण आपने जैन बोर्डिंग हाउसके विद्यार्थियोंके सामने दिया था। ___ यहाँ एक महत्त्वकी बात हुई थी । जीरेके लालाशंकरलालजी जैनी नवलखा ओसवाल और उनकी धमपत्नी सौभाग्यवती बहिन भागवंती, दोनोंको ब्रह्मचर्यव्रत ग्रहण किये तीन बरस हो चुके थे । बहिन भागवंतीको दीक्षा ग्रहण करनेकी इच्छा हुई। उनके पति लाला शंकरलालजीने हमारे चरित्रनायकसे अपनी पत्नीको दीक्षा देनेकी प्रार्थना की। संघने दीक्षाकी तैयारियाँ की। बड़ी धूम धामसे फाल्गुन
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