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आदर्श जीवन।
शानि
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है ? चारित्रका पालन कैसे करना चाहिए ? नव दीक्षितको अपनेसे दीक्षापर्यायमें बड़े साधुओंके साथ और बड़ोंको नव दीक्षितके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए ? आदि ।
आपको चौमासा करने बंबई जाना। था बंबईका संघ आपको बंबई शीघ्र पधारनेकी, आग्रहपूर्वक, विनती कर रहा था, इस लिए आपने फाल्गुन वदी १३ के दिन भावनगरसे विहार किया।
आप अन्य अपनेसे दीक्षापर्यायमें बड़े मुनि महाराजोंके साथ मिलकर बड़ी प्रसन्नता प्राप्त करते हैं। अन्य मुनि महाराज भी आपसे उसी तरहका स्नेह रखते हैं। जब आप पालीताने पधारे थे तब वहाँ मुनि श्रीकेवलविजयजी महाराजसे मिलने गये थे। मगर उस समय वे पडिलेहण कर रहे थे इस लिए आपसे बात न कर सके। आप वापिस लौट गये । यह बात पालीतानेसे विहार करते समयकी है । जब आप भावनगर पहुँचे तब उपर्युक्त मुनि महाराजका जो पत्र आया उसको हम यहाँ देते हैं,___ "++ + + आप हमारे पास आये मगर हम आपसे बात न कर सके कारण हम उस समय पडिलेहणमें थे। पडिलेहणमें कीसीसे नहीं बोलना ऐसा हमारा नियम है । इस लिए हम आपको खमाते हैं । बोले होते तो अगले रोज घीका खाना बंध हो जाता तो क्या था ? मगर हमारी भूल हुई है । गुनाह माफ करना। और अब तो आप पंजाबकी तरफ जानेवाले हैं,
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