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आदर्श जीवन।
'पढ़ानेवाले थे मास्टर प्राणसुखलाल गवैया और सूरतवाले विजयचंद भाई आदि । सुरीले कंठोंने सभीके ऊपर जादूसा कर रक्खा था। भाईचंद भाई पहलवान और मंगू भाई दोनों श्रावक नृत्यकर अपनी प्रभुभक्ति प्रदर्शित कर रहे थे । उस वक्त ऐसा समा बँधा हुआ था, ऐसी तल्लीनता थी, जैसी रावणकी अष्टापद गिरि पर थी। इस आनंदको बंबईनिवासी आजतक स्मरण करते हैं। ___ अवसरके जानकार सद्गत सेठ नगीनभाई मंछूभाई बोले:"कृपानाथ ! इस प्रकारकी पूजा, इस प्रकारके-सेठ देवकरण भाई जैसे--इतने स्नात्री और इस प्रकारका आनंद मेरे जीवनमें मैंन पहली ही बार देखा है। इस आनंदके कर्ता और ऐसे सौभाग्यका दिन दिखानेवाले आप ही हैं। ऐसा आनंददान कर आप विहार करनेकी बात करते हैं, इससे हमारे हृदयमें चोट पहुँचती है । आप अभी, कमसे कम अगले चौमासे तक यहाँसे विहार करनेका नाम न लें। इतनी हमारी प्रार्थना स्वीकार करें। आपके विराजनेसे श्रीसंघका उत्साह, और भी बढ़ेगा और आपके उपदेशसे उसने जो महान कार्य करना स्थिर किया है उसको भी पूरा कर सकेगा।"
बोलते बोलते नगीन भाईका दिल भर आया । जीवदयाप्रचारक सभाके मंत्री सेठ लल्लूभाईने थोड़े परन्तु ऐसे मार्मिक शब्दोंमें आपसे चौमासा वहीं करनेकी प्रार्थना
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