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आदर्श जीवन।
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वका सुनहरी दिन जेठ सुदी ६ का है । उस समय वनथलीमें जयंती करनेकी इच्छा है । उस समय आप समग्र पूज्य मुनिवरोंकी उपस्थिति होगी तो मैं और वनथलीका संघ विशेष रूपसे धर्मकी उन्नति कर सकेंगे । + x + + +" __ आपका विश्वास है कि, जैन धर्मकी उन्नति तबतक न होगी जबतक सारे जैनियोंका कोई अच्छा संगठन न होगा। इस विचारके अनुसार ही आपन श्री जैनश्वेतांबर कॉन्फरंसमें पंजाबके श्रीसंघको शामिल होनेका उपदेश दिया और उसके अनुसार ही पीछेसे भी आप जहाँ तहाँ इस कॉन्फरंसको दृढ बनानका उपदेश देते रहे हैं। __सं० १९७२ चैत्र वदी ४, ५, ६ के दिन बंबईमें उपयुक्त कॉन्फारसका अधिवेशन हुआ था। उस समय आपने स्वागत समिति ( Reception committee) के मंत्रीके पास सहानुभूति प्रदर्शक एक पत्र भेजा था और उसमें दो बातों पर कॉन्फरेंसको खास ध्यान देनेके लिए लिखा था। पहली बात यह थी कि,-कॉन्फरेंसको जितना हो सके उतना, अपनी सारी शक्ति लगा कर, शिक्षाप्रचारका कार्य करना चाहिए । दूसरी बात यह थी कि,-कॉन्फरंसको झगड़ेकी बातोंसे सदा दूर रहना चाहिए।
कॉन्फरेंस समाप्त होनेके बाद श्रीयुत मोतीचंद गिरधर लाल कापडिया सोलिसिटरने भावनगरसे हमारे चरित्रनाय
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