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आदर्श जीवन ।
प्यासे हैं, अभी तृप्ति नहीं हुई। आप हमें उपदेशामृत पिलाइए। हम साधुओंके जानेको रस्ता कर देते हैं।" ___ रस्ता कर दिया गया। कुछ साधु चले गये और कुछ वहीं रह गये। + + +
+ दो तीन सालसे बंबईका संघ आपसे बंबईमें चौमासा करनेकी विनती कर रहा था । इस साल संघने विशेष आग्रहके साथ विनती की। आपने उसको स्वीकार कर लिया।
सूरत आदि स्थानोंमें होते हुए और लोगोंको उपदेशामृत पिलाते हुए आप दादर पधारे । वहाँ हेमचंद अमरचंदके बँगलेमें ठहरे । बंबईके लोग जबसे आप विरार पधारे तभीसे आपके दर्शनार्थ आने लग गये थे। दादरसे तो बहुत ही ज्यादा आने लगे । तीन रात दादर ठहरकर आप भायखाला पधारे । एक रात वहाँ रहकर बड़े भारी जुलूसके साथ जेठ सुदी ३ स० १९७० के दिन बंबईमें, बड़े समारोहके साथ, प्रवेश किया । सामैयेमें करीब दसके, जुदा जुदा मंडलोंकी तरफसे, बेंड बाजे आये थे । हजारों नर नारी आपके साथमें थे।
उस चौमासेमें आपके साथ १६ मुनिराज थे। उनके नाम ये हैं (१) तपस्वीजी महाराज श्रीविवेकविजयजी (२) श्रीसोहनवि० (३) श्रीविमलवि० (४) श्रीकस्तूरवि० सद्गत १०८ श्रीउद्योत विजयजी महाराजके शिष्य । (५) श्रीउमंगवि० (६) श्रीविज्ञानवि० (७) श्रीविबुधवि० (८)
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