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आदर्श जीवन ।
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पर आप डभोईसे विहार करके डभोईके आस पासके गामोंमें विचरते हुए मियागाम पधारे।
१०८ श्रीहंसविजयजी महाराजके पास, नांदोदके एक सज्जन-जो 'बक्षी वकील के नामसे प्रख्यात हैं,-नांदोद चलनेकी, नांदोद महाराजकी तरफसे, विनती करने के लिए आये। उन सज्जनका राज्यमें बड़ा मान था और वेमुनि महाराज श्रीहंसविजयजी पर बड़ी श्रद्धा रखते थे। दर्शन और प्रार्थना कर उनके चले जानेपर पानेथासे श्रीहंसविजयजी महाराजने आपको लिखा--" + + + अब नांदोद जानेका समय है। यदि आप पधारेंगे तो बहुत अच्छा होगा । यदि मुझे साथ रखनेकी इच्छा होगी तो मैं भी चलूँगा । कारण वहाँ बहुतसे लाभ होनेकी संभावना है। वहाँसे बक्षी वकीलजिनकी राज्यमें पूर्ण सत्तासी है--विनती करनेके लिए प्रताप नगरमें और वाघोरियामें आये थे । वहाँ श्रावकोंका एक भी घर नहीं है । वे कहते थे कि, वहाँ हमारी जातिके बनियोंके बहुतसे घर हैं। और मुझे श्रावकके समान ही समझिए । इसतरह बहुत आग्रह कर गये हैं। यदि आपका नक्की हो तो वहाँसे निमंत्रणपत्रिका आनेकी भी संभावना है । उसमें आप वहाँके अनेक नेताओंके हस्ताक्षर देख सकेंगे + + + + .. एक दूसरे पत्रमें आप और लिखते हैं,--" + + + आपके लिखनेसे, हम, उमरवामें पटेलको दूसरी पूजा पढ़ाना था तो भी, तीन पूजाएँ ही पढ़ाकर, आपके साथ प्रतिक्रमण
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