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आदर्श जीवन।
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मु० कांति विजय द० पोते
ल० अमृत विजय द० पोते सम्मेलनका उत्सव प्रारंभ होनेमें अभी देरी थी। अतः जिन मुनिराजोंने सम्मेलनमें, दूर होनेके कारण, शरीक होनेमें असमर्थता प्रकट की थी उनके नामसे जो पत्र प्रेषित किया गया उसकी अक्षरशः नकल नीचे दी जाती है,
"बड़ोदा, श्री १०८ श्री आचार्य महाराजजी श्री १०८ श्रीविजय कमल मूरि, श्री १०८ श्रीप्रवर्तकजी महाराज श्रीकांतिविजयजी श्री १०८ श्री मुनि महाराज श्रीहंसविजयजी आदि
३७ की तरफ़से तत्र योग्य अनुवंदना वंदनाके साथ मालूम होवे यहाँ सुख साता है आपकी सुखसाताके समाचार देना । विशेष स्वर्गवासी गुरु महाराजजी श्री १००८ श्रीमद्विजयानंदमुरि ( आत्मारामजी) महाराजजीके प्रतापसे साधुओंका एकत्र मिलना हुआ है । दूरका फासला और गरमीकी मोसम होनेसे आपका पधारना नहीं बन सका सो अमर लाचारी है । तथापि आपके ध्यानमें जो जो बातें साधु समुदायको उपकारी मालूम होवें जिससे कि श्रीगुरुमहाराजजीके समुदायमें एकता और तरक्की होवे वे ताकीदसे लिख भेजें ताके श्री १०८ श्रीउपाध्यायजी महाराजजी श्रीवीर विजयजीके पधारने पर उन सब बातोंपर विचार कर कोई बंधारण किया जावे । जिससे कि, साधुओंको अपने कर्तव्यमें प्रायः सुगमता होवे । इति
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