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आदर्श जीवन ।
२२५ rrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr कावी तीर्थ पर पहुँचा। यात्रा कर आपने संघके साथ परमानंद प्राप्त किया । यहाँ पर आपने इक्कीस प्रकारकी पूजा रची । यहाँ सास बहूके दो मंदिर हैं। वे बड़े ही सुंदर और आकर्षक हैं। तीन दिन वहाँ ठहरकर संघ रवाना हुआ और गंधार पहुचा।
'दिननके फेरतें सुमेरु होत माटीको' कविका यह कथन अक्षरशः गंधारके लिए चरितार्थ होता है। तीन सौ बरस पहले जिस गंधारमें लाखोंकी बस्ती थी उसीमें आज पचीस पचासकी बस्ती है । जिसमें हजारों मनोहर महल अटारियाँ थे उसीमें अब २०,२५ झोंपड़े रह गये हैं । जोस्थान सायंसंध्या मंदिरोंके घंट-नादसे मुखरित हो उठता था वहीं आज एक मंदिरका घंटा भी कठिनतासे बजता है । जिस गंधारको श्रहिरिविजय मूरिके समान प्रभावक पुरुषोंने कभी पावन किया था और उसमें दिव्य उपदेश दिया था एवं जिस उपदेशकी प्रतिध्वनि अकबरके समान महान सम्राट्के कानोंतक पहुँची थी वहीं आज मुनिराजोंके ठहरनेतकका ठोर ठिकाना नहीं है । आज गंधारका ध्वंसावशेषमात्र रह गया है; एक जिनालयमात्र वहाँ सिर ऊँचा किए गंधारकी प्राचीन स्मृतिको लेकर खड़ा है। ___ गंधारकी यात्रा करके संघ भरूच पहुँचा । भरूचवालोंने आपका बड़ा स्वागत किया । संघ यहाँसे बड़ोदे चला गया । आपने यहाँ पंन्यासजी श्रीसिद्धिविजयजी महाराजके दर्शनकर तृप्ति लाभ की। तीन रोजतक आप उन्हींकी सेवामें रहे।
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