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आदर्श जीवन।
जो लड़का मेट्रिकमें पहले नंबर पास हो उसे आगेका अभ्यास करनेके लिए मदद की तरह दी जाय । मगर उस लड़केको धर्मका साधारण ज्ञान अवश्य होना चाहिए । इसी तरह उसे धर्मपर श्रद्धा भी होनी चाहिए । इति।
ताजा कलम-मैं पहले कह चुका हूँ कि यह फैसला कानूनकी तरह नहीं माना जाय, इस बातकी मैं यहाँ फिरसे याद दिलाता हूँ। श्रीवीर संवत् २४३८ श्रीआत्मसंवत् १६ विक्रम संवत् १९६८ कार्तिक सुदी १४ रविवार ता. ५ नवंबर सन् १९११.
दस्तखत-श्रीजैनसंघका दास मुनि वल्लभविजय ।" मियागाँवके जागीरदार प्रायः आपके दशनार्थ आया करते और धर्म चर्चा करके आनंद लाभ करते थे । मियागाँवमें पहले एक जैनपाठशाला चलती थी । वह
आपसी कलहके कारण बंद हो गई थी। उसे भी आपने फिर शुरू करवाई। पाठशालाका खर्चा हमेशा चलता रहे इसके लिए वहाँके कपासके व्यापारियोंपर कुछ लागा लगा दिया । उपाध्यायजी श्रीवीरविजयजी महाराजकी प्रेरणासे आपने रतलाम शहरके श्रीसंघकी इच्छानुसार ऋषिमंडलकी और नंदीश्वर द्वीपकी पूजा रची । इस प्रकार धार्मिक कार्य संपादन करते
और लोगोंको धर्मामृत पिलाते आपका वह चौमासा आनंद पूर्वक समाप्त हुआ।
मियागामसे विहार करके आप सुरवाड़े पधारे । आपके
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