________________
आदर्श जीवन |
संघमें सब मिलाकर सोलह सौ मनुष्य थे । राधनपुरसे पालीताने पहुँचने में संघको एक महीना और कुछ दिन लगे थे । संघपति दानवीर मोतीलाल मूलजीने उस मौके पर आपके समक्ष तीर्थमाला स्वीकार की थी । पालीतानेसे संघ लौट गया और आप एक महीनेतक वहीं रहे । ऊँझासे मुनि श्रीमतीविजयजी महाराजके साथ एक सज्जन दीक्षालेनेके लिए आये थे, उन्हें उनके पिताजीके समक्ष श्रीसिद्धाचलजीकी तलहटीमें आपने सं० १९६६ के माघ सुदी ५ के दिन दीक्षा दी ।
२१८
मासकल्प समाप्त होने पर आप विहार करके भावनगर पधारे । वहाँ मुनि श्रीमित्रविजयजी और मुनि श्रीउदयविजयजीकी, बड़ी दीक्षा श्रीबालब्रह्मचारी पंन्यासजी श्रीकमलविजयजी महाराजके हाथसे हुई । एक महीने तक आपने वहाँके लोगोंको सुधापान कराया । अठाई महोत्सव आदि अनेक धार्मिक कार्य हुए ।
भावनगर से आप घोघा बंदर पधारे । वहाँ श्रीनवखंडा पार्श्वनाथकी यात्रा की ।
वहाँ से विहार करके वरतेज होते हुए आप सिहोर पधारे । समारोह के साथ आपका नगरप्रवेश हुआ । वहाँके लोगोंने उपदेशामृतका पान कर तृप्ति लाभ की । मुनि श्री मूलचंदजी महाराजके बड़े शिष्य १०८ श्रीगुलावविजयजी उस समय वहीं विराजमान थे। उनके दर्शन कर आप बहुत प्रसन्न हुए । तीन दिन तक आपने वहाँ निवास किया ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org