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आदर्श जीवन।
सीहोरसे विहार करके आप वले पधारे । वहाँ तप गच्छ और लौंका गच्छवालोंमें कुछ तनाजा था । उसको मिटानेके लिए आप थोड़े दिनतक वहीं ठहर गये । धोलेराके श्रावकोंने आकर धोलेराको पवित्र करनेके लिए आपसे बड़े आग्रहके साथ विनती की। वलाका झगड़ा मिटाना भी जरूरी था । इस लिए आप दो तीन साधुओंके साथ वहीं रहे और अन्य साधुओंको धोलेराकी तरफ विहार करा दिया । बड़े परिश्रमके बाद आप वलाका तनाजा मिटा सके। - वलासे विहार करके आप धोलेरा पहुँचे । धोलेराके संघमें एक अपूर्व उत्साह था। न केवल श्रावक ही बल्के अन्यान्य धर्मावलंबी भी आपके वचनामृतका पान करनेके लिए बड़े व्याकुल हो रहे थे । आपके स्वागतके उपलक्षमें सारा शहर सजाया गया था । करीब ग्यारह दर्वाजे तैयार किये गये । मुसलमान और हिन्दु भाइयोंने भी इसमें सहायता दी थी। बाजारका श्रृंगार अपनी शोभा निराली ही रखता था । शहरके बाहरसे ही जूलूस शुरू हुआ था । बेंड बाजोंकी मधुर झन्कार और भजन मंडलियोंकी सुरीली तानोंसे सारा शहर मुखरित हो रहा था । बीचबीचमें ' आत्मारामजी महाराजकी जय' 'वल्लभविजयजी महाराजकी जयके नादसे सारा शहर गूंज उठता था। श्राविकाओंकी भक्तिरस परिपूर्ण गहुलियाँ अपनी जुदा ही फबन रखती थीं। जब जुलूस उपाश्रयमें पहुँचा और आपने पाट पर विराजकर उपदेश
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