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आदर्श जीवन
चैत्र बुदी १ सं. १९६५ को हस्तिनापुरसे आप रवाना हुए । संघ भी भगवानकी और गुरु महाराजकी जय बुलाता हुआ वहाँसे रवाना हुआ। ___ आप वापिस मेरठ पहुँचे । बिनौली, खिवाई आदिके श्रावकोंकी प्रार्थनासे आपने यमुनापारके ग्रामोंमें विचरण करने
और वहाँके निवासियोंको ज्ञानामृत पान करानेका निश्चय किया। अभी चौमासेमें बहुत दिन बाकी थे इसलिए दिल्लीके श्रावकोंने आपसे वापिस दिल्ली चलनेका बहुत अनुरोध न किया। चौमासा बैठनेके कुछ दिन पहले ही दिल्ली पधारनेकी प्राथना कर संघ दिल्ली चला गया।
मेरठमें कुल तीन ही घर श्वेतांबर श्रावकोंके हैं, बाकी सभी दिगंबर हैं। इस लिए आप वहाँ विशेष ठहरना नहीं चाहते थे, मगर दिगंबर भाइयोंके आग्रहसे आपको वहाँ ठहरना पड़ा। दिगंबर भाइयोंने आपके दो सार्वजनिक व्याख्यान बी बी सुंदरकौरकी धर्मशालामें करवाये और एक अपनी जैन धर्मशालामें भी करवाया। उस समय दिगवरोका रथोत्सव था इसलिए व्याख्यानोंमें और भी विशेष रौनक होती थी।
आप मेरठसे बिनौली पधारे। मेरठ इलाकमें प्रायः सभी श्रावक दिगंबर हैं । केवल खिवाई और बिनौली में कुछ श्वेताबर श्रावकोंके घर हैं और वे स्वर्गीय आत्मारामजी महाराजके प्रतिबोधित हैं। वहाँ आप रोज व्याख्यान बाँचते थे । इसमें प्रायः दिगंबर श्रावक श्राविकाएँ धर्मोपदेश श्रवण कर लाभ उठाते थे।
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