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आदर्श जीवन ।
थोंमें हिंसा आदिकी बातोंका होना सिद्ध किया गया है। साथ ही गुजरांवालाके हिन्दु वैसे भी उत्तेजित किये गये । इतना ही नहीं, सुना जाता है कि श्वेतांबरोंके साथ शास्त्रार्थ करनेमें, श्वेतांबरोंको नीचा दिखानेका प्रयत्न करनेमें, जो कुछ खर्चा हो वह भी देनेका अभिवचन देकर उन्हें उत्तेजित किया; खर्चा देते भी रहे। गुजराँवालामें शास्त्रार्थकी और नोटिसबाजीकी धूम मच गई।
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उस समय हिन्दुओं की तरफसे पं. भीमसेनजी शर्मा, विद्यावारिधि पं. ज्वालाप्रसादजी मिश्र और पं. गोकुलचंदजी आदि थे । श्वेतांबरोंकी तरफसे, पं. श्रीललितविजयजी गणि, जलंधरनिवासी यति ( पूज) जी श्रीकेशरऋषिजी, और पं. ब्रजलालजी शर्मा आदि थे ।
श्वेतांबरोंकी तरफसे उपर्युक्त विद्वानोंके और श्रीआचार्य महाराजजी आदि १३ साधुओं के होते हुए भी क्या साधु और क्या श्रावक सबके दिलोंमें यह समाया हुआ था कि, हमारी जीत वल्लभविजयजीके आये बिना न होगी । सबको बड़ी व्याकुलता हो रही थी । उसीका यह परिणाम था कि, श्री आचार्य महाराजको और श्रीउपाध्यायजी महाराजको आपके पास पत्र भेज कर गुजराँवाला आनेके लिये आज्ञा देनी पड़ी !
आचार्य महाराज, उपाध्यायजी महाराज तथा श्रीसंघके पत्रोंसे पाठक भली प्रकार समझ सकते हैं कि, सबकी दृष्टि
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