________________
आदर्श जीवन ।
श्रीविवेकविजयजी ( २ ) मुनि श्रीललितविजयजी ( ३ ) मुनि श्री लावण्यविजयजी ( ४ ) मुनि श्री सोहनविजयजी ( ५ ) मुनि श्रीविमलविजयजी ( ६ ) मुनि श्रीउमंगविजयजी ( ७ ) मुनि श्रीविज्ञानविजयजी ( ८ ) मुनि श्रीविबुधविजयजी ( ९ ) मुनि श्रीतिलकविजयजी (१०) मुनि श्रीविद्याविजयजी ( ११ ) मुनि श्रीविचारविजयजी और (१२) मुनि श्रीविचक्षण विजयजी ऐसे बारह साधु थे ।
२१२
चौमासा समाप्त होने पर बड़ोदानिवासी श्रावक नाथालालपटेलको दीक्षा दी गई । यह शाह खीमचंद दीपचंद के साथ आया था । सं० १९६६ के मगसर ( गुजराती कार्त्तिक ) वदि दूजके दिन दीक्षा हुई । नाम मित्रविजयजी और महाराज श्री सोहनविजयजीके शिष्य हुए।
आपने १३ साधुओंके साथ पालनपुरसे विहार किया । ग्रामानुग्राम लोगोंको उपदेशामृत पान कराते हुए आप मेत्राणा श्री ऋषभदेवजी तीर्थ पधारे । वहाँ तीर्थवंदना की । ऊँझासे विहार करके मुनि श्रीमतीविजयजी महाराज भी संघ सहित वहाँ पधार गये ।
ऊँझाका संघ आपके दर्शन और तीर्थयात्रा कर पुनः ऊँझा चला गया | आप विहार करके पंद्रह साधुओं सहित पाटन पहुँचे । बड़ी धूमसे आपका स्वागत हुआ । सारे शहरमें जुलूस घूमा | आप थोड़े दिन तक वहाँ रहे और धर्मोपदेशरूपी अमृत पिलाकर वहाँकी जनताको कृत कृत्य किया ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org