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आदर्श जीवन ।
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लेना जी । तुमो ( तुम ) गुणवानको ज्यादा क्या लिखनाजी चार साधु जो के दिल्ली हैं उनको दिल्लीकी इजाजत दे देनाजी। तेमज तुमो सोहनविजयजीको साथ लेकर फौरन आवो. एज । जेठ वदी १४ पंजाबीः वीर विजय
आज आ वखते एटले ( यानी) दिनके छः बजे पर अमृत सरसे बोलाया पंडित आपणा ( अपने ) ग्रंथोंने ( को) रद करवानु ( का) भाषण दे रहा है । नतीजा क्या आवेगा ते ( उसकी) खबर नथी ( नहीं) औ सा (?) ढूँढकाओनो पक्षकरी तमाम शहेर उकेराई गयुं छे (उत्तेजित हो गया है) लखवा समर्थ नथी (लिखनेका सामर्थ्य नहीं है )
ताजा कलम-आ पत्र वाँची तुरत विहार करो अत्रेना माणसो रोकायला छे. ( यहाँके आदमी रुके हुए हैं ) माटे हाल विनौलीसे चार आदमी साथ लेकर आओ। मुसद्दीलालको कहना अत्रे थी मुसद्दीलालको तार दिया जायगा तथा अंबाले पत्र लिख दिया है । वांके चार आदमी आजायगा। बीजावृत्तांत जगन्नाथके मुखसे सुण लेना जी।" __हमारे चरित्र नायकको आचार्यश्रीने और संघने पुनः गुजराँवाला क्यों आग्रह पूर्वक बुलाया इसके कारणका आभास तो पाठकोंको पत्रोंसे हो ही गया होगा; मगर पूरा समझमें नहीं आया होगा, इस लिए उसे संक्षेपमें यहाँ बतला देते हैं। __ पाठक यह जानते हैं कि हमारे चरित्रनायकके साथ शास्त्रार्थ करके स्थानकवासी सामानमें और नाभेमें बुरी तरह.
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