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आदर्श जीवन ।
www मैं स्वयं यह बताते अत्यंत प्रसन्न हूँ कि पालनपुरमें श्रीजिनेश्वर देवके मनोहर चैत्यमें प्राचीन श्रीजिन प्रतिमाओंका दर्शन भव्य जीवोंको बहुत आनंद देता है। ऐसी ऐसी अद्भुत प्राचीन प्रतिमाएँ यहाँ देखी हैं जैसी अन्य स्थानोंपर कठिनतासे मिल सकती हैं। श्रावक समुदाय भी धर्मका पूर्ण रागी और प्रतापी है। इतना होने पर भी ऐसा मालूम हुआ कि यहाँके मंदिरों में जितनी चाहिए उतनी देखरेख नहीं होती, इसलिए प्रसंगवश व्याख्यानमें इसके लिए कुछ कहा गया। जिससे श्रावकोंके हृदय भर आये । मगर उत्तर मिला कि, साहब इसमें कोई खास कारण है। पूछने पर विदित हुआ कि किसी साधारणसी बातपर आपसमें झगड़ा हो गया है । इसका अंत करनेके लिए सूचना दी गई। इससे सर्वानुमतसे यह बात प्रकट की गई की आप सारी बातोंसे वाकिफ होकर जैसी आज्ञा देंगे वैसा ही हम सब करनेके लिए तैयार हैं । इस विषयका पत्र लिख उस पर सबने हस्ताक्षर कर दिये । दोनों पक्षोंके आदमियोंसे जुदा जुदा सारी बातें जान ली । इसके बाद जो कुछ मैंने उचित समझा वह बताता हूँ।
(१) यद्यपि कुछ बातोंमें कुछ व्यक्तियाँ अपराधी साबित होती हैं परन्तु समयके फेरसे विरुद्ध धर्मवालोंको हँसी या आलोचनाका मौका न मिले इसी हेतुसे मैं उन्हें अपराधी बताना नहीं चाहता; तथापि पैंतीस घरवालोंने या दूसरे किसीने एकड़ामें (ऐक्यमें) भाग नहीं लिया वे एकड़ामें भाग लेने यानी एकड़ा भरनेके लिए बाध्य हैं।
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