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आदर्श जीवन |
गज़ल |
वो बदल गुरु हैं हमारे जहानमें;
औसोफ जिनके आ नहीं सकते बयानमें ॥ १ ॥
लाए जो मुश्किलात कोई अपनी उनके पास ; पर्दा भरमका दूर करें एक आनमें ॥ २ ॥ लाता है खामा उज्र बुरीदा - ज़बानीका;
जब वफ आ न सकते हैं वहमो गुमानमें ॥ ३ ॥ बनते हैं काम बिगड़े खलायकके रात दिन ;
फैज आपका है जारी ज़मीनों जमानमें ॥ ४ ॥ हींदी ओ रहनमा ओ गुरु मेरे आप हैं;
काफी है फर मुझको यही खादमानमें ॥ ५ ॥ बूटा जो विजयानंद सूरीजी लगा गये;
सरर्स आपसे रहा वो गुलिस्तानमें ॥ ६ ॥ झड़ते हैं फूल मुँहसे जो करते बखान हैं;
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हैं मखजनें” – उलूम अमीं रस ज़बानमें ॥ ७ ॥ या रब ! है माघीरामकी हरदम यही दुआ; वल्लभविजय गुरुजी रहें खुश जहानमें ॥ ८ ॥
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१ अद्वितीय २ - गुण ३- कठिनाइयाँ ४ - कलम ५- नोक टूटनेका ६ - गुण. ( तीसरे पदका भाव यह है--' जब आपके गुण कल्पनामें भी नहीं आ सकते हैं जब कलम कहती है मेरी नोक टूट गई है । इसके द्वारा कविने यह बताया है कि आपके गुण इतने हैं कि वे लिखे नहीं जा सकते । ) ७ - दुनियाके लोग ८ - बख्शिश; कृपा ९ - हर समय तमाम पृथ्वी पर १०- - उपदेशक ११ - मार्ग बतानेवाले १२ - हरा भरा १३ - बाग १४ - विद्याके भंडार.
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