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आदर्श जीवन ।
दोनों चले गये। श्रावकोंको यह बात मालूम हुई । उन्होंने आपको, साग्रह विनती करके, लुधियानेहीमें ठहरा लिया और स्थानकवासी श्रावकोंको सूचना दी कि तुम सभा बुलाओ
और शास्त्रार्थकी तैयारी करो। हमने तुम्हारे गुरुओंके कहनेसे अपने गुरुओंको यहीं ठहरा लिया है । मगर फिर स्थानकवासियोंने इस विषयकी कोई चर्चा न की । यह एक चालाकी थी । यदि हमारे चरित्रनायक लुधियानेसे विहार कर जाते तो उन्हें यह कहनेका अवसर मिलता कि, हम शास्त्रार्थ करनेको तैयार थे मगर वल्लभविजयजी चले गये । अस्तु ।
होशियारपुरके रईस लाला दौलतरामजी होशियारपुरसे आपके दर्शनार्थ, संघ निकालकर, आये थे । प्रायः पंजाबके लोग इस संघमें शरीक हुए थे । यहाँ आपने व्याख्यानमें विशेषावश्यक सूत्रमेंसे गणधरवाद वाँचा था । सैकड़ों अन्य धर्मावलम्बी भी व्याख्यानमें आते थे और आपकी मधुर एवं पाण्डित्यपूर्ण वाणी सुनकर प्रसन्न होते थे। ___अभी चौमासा समाप्त नहीं हुआ था कि, आपको ज्वर हो आया; इस हालतमें भी आपने कभी व्याख्यान बंद नहीं किया । आपकी सहनशीलता विलक्षण है।
चौमासा समाप्त होते ही आपने, रुग्ण होते हुए भी, विहार किया, नकोदर पधारे। मुनि श्रीललितविजयजी गुरु महाराजकी बीमारीके समाचार सुनकर व्याकुल हो उठे थे । चौमासा
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