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आदर्श जीवन ।
कार्यसे जानकार बना देना चाहिए। तदनुसार प्रतिष्ठाकी और अंजनशलाकाकी सारी विधियाँ आचार्यश्रीने अपने सामने हमारे चरित्रनायकसे कराई। _प्रतिष्ठाके बाद आचार्यश्रीने होशियारपुरकी तरफ़ विहार किया; क्योंकि वहाँपर सं० १९४८ के माघ सुदी ५ के दिन लाला गुज्जरमलजीके बनाय हुए मंदिरमें श्रीवासुपूज्य स्वामीकी प्रतिमा प्रतिष्ठित करानी थी।
आचार्यश्रीने हमारे चरित्रनायकको कुछ साधुओंके साथ पट्टी यह कहकर भेज दिया कि, तुम जाकर वहाँ अध्ययन करो। हम धीरे धीरे होशियारपुर पहुँचेंगे, तब तुम भी समयपर वहाँ आ पहुँचना । तदनुसार हमारे चरित्रनायक पट्टी चले गये। प्रतिष्ठाके समय आप होशियारपुर गये। वहाँ भी आचार्यश्रीकी अतुल कृपाके कारण आप प्रतिष्ठाके हरेक कार्यमें भाग लेते रहे। __ होशियारपुरकी प्रतिष्ठाके समय आचार्यश्रीकी सेवामें अठाईस साधु मौजूद थे । (१) मुनि श्रीचंदनविजयजी महाराज (२) मुनि श्रीकुमुदविजयजी महाराज ( छोटे महाराज) (३) मुनि श्रीचारित्रविजयजी महाराज (४) मुनि श्रीकुशलविजयजी ( बाबाजी महाराज) (५) मुनि श्रीहीरविजयजी महाराज (६) मुनि श्रीकमलविजयजी महाराज (७) मुनि श्रीउद्योतविजयजी महाराज (८) मुनि श्रीसुमतिविजयजी महाराज ( स्वामीजी महाराज) (९)
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