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आदर्श जीवन।
मुनि श्रीवीरविजयजी महाराज (१०) मुनि श्रीकान्तिविजयजी महाराज (११) मुनि श्रीहंसविजयजी महाराज (१२) मुनि श्रीसुंदरविजयजी महाराज (१३) मुनि श्रीजयविजयजी महाराज (१४) मुनि श्रीअमरविजयजी महाराज (१५) मुनि श्रीप्रेमविजयजी महाराज (१६) मुनि श्रीराजविजयजी महाराज (१७) मुनि श्रीसंपत्विजयजी महाराज (१८) मुनि श्रीमाणिकविजयजी महाराज (१९) हमारे चरित्रनायक (२०) श्रीलब्धिविजयजी महाराज (२१) श्रीमानविजयजीमहाराज (२२) श्रीजशविजयजी महाराज (१३) श्रीशुभविजयजी महाराज (२४) श्रीमोतीविजयजी महाराज ( २५) श्रीदानविजयजी महाराज (२६) श्रीचतुरविजयजी महाराज ( २७ ) श्रीभक्तिविजयजी महाराज और (२८) श्रीगौतमविजयजी महाराज ।
संवत १९४९ का चौमासा आचार्यश्री होशियारपुरहीमें करनेका इरादा रखते थे; क्योंकि होशियारपुरहीके नहीं बल्के सारे पंजाबश्रीसंघके मुखिया लाला गुज्जरमलजी और लाला नत्थूमलजीकी साग्रह विनती थी। इसीलिए आचार्यश्रीने हमारे चरित्रनायकको मुनिश्रीवीरविजयजी महाराजके सिपुर्द करके उन्हें फर्माया-" तुम चौमासा पट्टीमें करनेका इरादा रखना । कारण-वल्लभविजयका चंद्रप्रभा व्याकरणका अवशेष भाग समाप्त हो जायगा। तुम्हारे शिष्य दानविजय आदि भी वहाँ अच्छी तरह अध्ययन कर सकेंगे; क्योंकि
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