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आदर्श जीवन ।
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कि, एक तो आपकी आयु सबसे छोटी थी। अभी मुँहपर मूंछकी रेखाएँ भी नहीं उठी थीं; दूसरे जब वे देखते तभी आप उन्हें, आचार्य महाराजके पास बैठे कुछ पढ़ते, लिखते तत्वान्वेषण करते या आचार्यश्रीको गुजरातीका अखबार सुनाते नजर आते थे। एक दिन श्रावकोंने आचार्यश्रीसे पूछा:-" ये छोटे महाराज क्या पढ़ते हैं ?" आचार्यश्रीने मुस्कराकर फर्माया,-" पंजाबकी रक्षा" सुनकर श्रावक एक दूसरेका मुँह देखने लगे । तब आचार्यश्रीने कहा:--" मैं इसको पंजाबके लिए तैयार करता हूँ। मुझे विश्वास है कि, यह यथाशक्ति जरूर पंजाबकी रक्षा करेगा।"
पंजाबका श्रीसंघ उसी दिनसे आपके प्रति विशेषरूपसे भक्तिभाव रखने लगा। वह उत्तरोत्तर बढ़ता गया और बढ़ता ही जा रहा है।
उस समय पंजाबमें स्थानकवासी साध्वी श्रीपार्वतीजीकी अच्छी प्रसिद्धि हो रही थी। उन्होंने ज्ञान दीपिका नामकी एक पुस्तक लिखी। उसमें कई बेसिरपैरकी बातें लिख डाली थीं। हमारे चरित्रनायकने उसके उत्तर स्वरूप गप्पदीपिका समीर नामकी पुस्तक तैयार की। यह आपकी प्रथम बाल-रचना
और गुरुकृपाका फल थी। ____ अंबालेके श्रीसंघने आचार्यश्रीसे वहीं चौमासा करनेकी प्रार्थना की, मगर मूरिजी महाराजने मालेरकोटलामें चौमासा करनेकी इच्छा प्रकट की। इस पर अन्य साधुओंके लिए
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