________________
'.
प्रमैयबोधिनी टीका पद १७ सू० ९ लेश्याविशेपनिरूपण गौतम ! पड्लेश्याः, कृष्णलेश्या यावत् शुद्ध उळेश्या, तिर्यग्योनि.नां पृच्छा, गौतम ! पड्लेश्योः एताश्चैत्र, मनुष्याणां पृच्छा, गोला ! पड्लेश्या एताश्चैव, सामूच्छिममनुष्याणां पृच्छा, गौतन! यथा नैरयिकाणाम्, गर्भकान्तिक मनुष्याणां पृच्छा, गौतम ! पड्लेश्याः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-कृष्णलेल्या यायच्छुक्ललेश्या, मानुपीणां पृच्छा, गौतम ! एयश्चैव, देवानां में प्रश्न ? (गोयमा! छल्ले सा-कहलेला जाव लुक्कलेस्सा) हे गौतम ! छह लेश्याएं, कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या (समुच्छिापंचिदितिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ?) संमृर्छिन पंचेन्द्रिय तिथंच छोनिकों के विषय में प्रश्न (गोधमा ! जहा नेरइयाण) हे गौतल ! जैसे नारको में (गलवस्कतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ?) अभिव्युत्क्रान्तिक पंचेन्द्रिय तिचों के विषय में प्रश्न ? (गोयमा ! छल्लेला कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्ला) हे गौतम ! छह लेश्याएं कृष्णलेश्था यावत् शुक्ललेश्या
(निरिक्खजोणिणीणं पुच्छा ?) तिवमोनिकलियों के विषय में पृच्छा ? (गोयमा ! छल्लेस्ला एयाओ चेच) हे गौतम छह लेशाएं येही ।
(मणूस्साणं पुच्छा ?) मनुष्यों के विषय में प्रथम ? (गोधमा ! छल्लेक्सा एचाओ चेव) हे गौतम ! छह लेश्याएं, ये ही (संच्छिर रणुशहाणं पुच्छा ?) संमृछिम मनुष्यों के संबंध में प्रश्न ? (गोयमा ! जहा नेहया) हे गौतम जैसे नारकों में (गम्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा ?) गर्भज मनुष्यों के विषय में प्रउन ? (गोयमा छल्लेस्लाओ षण्णताओ) हे गौतम ! छह लेश्याएं की है ( जहा कण्हलेस्ता जावकलेस्सा) ने इस प्रकार कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या ।
(मणुस्तीणं पुच्छा ? मनुष्यस्त्रियों संबंधी इन ? (गोयमा ! एवं बेव) हे शु४६ वेश्या (समुच्छिम पचिंदियतिरिक्खजाणियाण पुच्छा ?) स भूमि पथेन्द्रिय तियययोनिन विषयमा प्रश्न (गोयमा । जहा नेरइयाण) 3 गौतम ! २५ नामां (गम्भ वतिय पचिंदियतिरिक्ख जोणियाणं पुच्छा ?) समव्युत्पति: ५ येन्द्रिय तिय याना विषयमा प्रश्न ? (गोयमा ! छल्लेस्सा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा) 3 गौतम ! छलेश्याम श्या થાવત્ શુકલેશ્યા.
(तिरिक्खजोणिणी पुच्छा १) तियोनि लियोन विषयमा २७१ (गोयमा । छल्लेस्सा एवाओ चेव) 3 गौतम । ७वेश्यामी मा.
(मणूसाणं पुच्छा ) मनुष्याना विषयमा प्रश्न ? (गोयमा । छल्लेस्सा एयाओ चेव) डे गौतम । ७३श्याम मा (समुच्छिम मणुस्साणं पुच्छा ?) से भूछिभ मनुष्योना सप
भी प्रश्न ? (गोयमा । जहा नेरइयाण) 3 गौतम । रेभ नामां (गभर्फतिय मणुस्साणं पुच्छा ?) गरी मनुष्यो विषयमा प्रश्न ? (गोयमा ! छल्लेस्साओ पण्णत्ताओ) हे गौतम! वेश्यामा ४ी छे (तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुकालेस्सा) ते २॥ ॥ वेश्या यावत् शुसोश्या,