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प्रशापनास्त्र चोत्तरक्रिया च, तत्र खलु याऽसौ अवधारणीया सा जयन्येन अङ्गुलस्यासंख्येयभारम्, उत्कृष्टेन सप्तरत्नयः, तत्र खलु याऽलो उत्तरक्रिया सा जघन्येन जङ्गुलस्व संख्येयभागम, उत्कृष्टेन योजनशतसहस्रम्, एवं यावद स्तनितकुमाराणाम्, एवमौधिकानां दानव्यन्तराणाम्, एवं ज्योतिष्काणामपि, सौधर्मेशानदेवानाम् एवञ्चम, उत्तरवैक्रिया यावद् अच्युतकल्पः, नवरं सनत्कुबरे भवधारणीया जयन्येन अङ्गुलस्यासंख्येयभागम्, उत्कृप्टेन पत्नयः, ध्वं माहेन्द्रेऽपि, ब्रह्मलोकलान्तकेषु पञ्चरत्नयः, सहाशुक्रसहस्रारयोश्चतस्रो रत्नयः, आनत
और उत्तर वैक्रिय (तत्थ णं जा सा अवधारणिज्जा) उन में जो भवधारणीय है (सा जहण्णेनं अंगुलरल असंखेजइलागं) वह जघन्य से अंगुल के असंख्यातवां भाग एवं (उकोसेणं सत्स रयणीओ) उत्कृष्ट सात हाय (तत्थ णं जा सा उत्तर वे उत्रिया सा जहण्णेणं अंशुलस्त संखेनद भागं) उनमें जो उत्तर वैक्रिय है वह जघन्य अंशुल के संख्यात वे भाग (उकोसेणं जोयणसयसहस्सं) उत्कृष्ट एक लाख योजल (एवं जाप धणियकुमाराणं) इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों की (एवं ओहियाणं वाणसंतराणं) इसी प्रकार समुच्चय बानव्यन्तरों की (एवं जोहसियाण वि) इसी प्रकार ज्योतिषकों की (सोहग्मीसाणदेवाणं एवं चेत्र) सौधर्म, ईशान देवों को इसी प्रकार (उत्तर वेउव्विया) उत्तरवैक्रिय की अवगाहना (जाव अच्चुओ कप्पो) यावतू अच्युत कल्प (णवर) विशेष (सणकुमार भवधारणिजा जहण्णे गं अंगुलस्स असंखेज्जइ भाग) सनत्कुमार कल्प में अवधारणीय-अवगाहला जघन्य अंगुल के असंख्यातवें माग (उकोलेणं छ रयणीओ) उत्कृष्ट छह हाथ (एवं माहिंदे वि) इसी प्रकार माहेन्द्र कल्प में भो (भलोय लंतगेसु पंचरथणीओ) ब्रह्मलोक लान्तक में पांच हाथ (महामुकामहरूलारेसु चत्तारी रयणीओ) महाशुक्र सहस्रार कल्प में चार हाथ णिज्जा) तमा रे धारणीय छ (सा जहण्णेणं अंगुलप्स असखेजइभाग) ते धन्य मगुयना २५५ याताला (उकोसेणं सत्तरयणीओ) read 2 (तत्थणं जा सा उत्तरवेउब्धिया मा जहणेणं अंगुटस्स सखेज्जइभाग) तभा २ उत्तरवैठिय छ त धन्य
शुमनः सयातमाn (उक्कोसेणं जोयणसयसहस्स) See मे 2011 (एवं जाव थणियकुम राणं) मे भारे यावत् स्तनितभाशनी (एवं ओहियागं वाणमंतराणं) सर प्रा२ समुव्यय पान०यन्ती माहना ४ी छ. (एवं जोइसियाण वि) मन ४२ च्यातिनी (सोहम्मीसाणदेवाणं एवं चेव) सौधर्म, शान शनी मे प्रारे (उत्तरवेउव्यिया) उत्तर वैठियनी Aqालना (जाव अच्चुओ क पो) यावत् पश्युत ८५ (नवरं) विशेष (सणंकुमारे भवधारणिज्जा जहण्णेणं अंगुलस्स अस खेज्जइभाग) सनभार ४६५मां लधारणीय-५२॥ धन्य मतना ससध्यातमाला (उको सेणं छ रयणीओ) Grg ७ 814 (एवं म.हिंदे वि) मे४ प्ररे भाईन्द्र ५६५मा ५ (वभलोय लंतगेसु पंच रयणीओ) : दाम पाय 12 (महासुक्क सहस्सारेसु चत्तारि रयणीओ) भ७