Book Title: Pragnapanasutram Part 04
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 832
________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद २१ पृ० ११ औदारिकादि शरीरवता अल्पबहुत्वनिरूपणम् ८६ . शरीरस्म उत्कृष्टा सहना संख्यामा, तैजसकार्मणयो योरपि तुल्या उन्कृष्टा अवगाइना असंखोयाणा, जघन्योत्कृष्टायाषवगाहनायां सस्तिोका औदारिकशरीरस्य जयन्या अवगाइना, तैजसकामनयोयोरपि तुल्या जपन्या अवगाहना विशेषाधिका, वैक्रियशरीरस्य जघन्या . अवगाहना असंख्येयगुणा, आहारकशरीरस्य जघन्याभ्योऽवगाहनाश्य स्तस्य चैत्र उत्कृष्टा अवगाहना विशेषाधिका, औदारिकशरीरस्य उत्कृष्टा अवगाहना संख्येय गुणा, वैक्रियशरीरस्य रकशरीर की जघन्य अपहला असंख्यातगुणी है (उचोलियाए ओगाहणाए) उत्कृष्ट अवगाहना में (लम्वत्थोवा आहारण सरीररस उक्कोसिया ओगाहणा) सब से कल आहारकशरीर की उत्कृष्ट अवगाहना है (औरालियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखेजगुणा) औदारिकशरीर की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है (बेचियमरीरस्स उक्कोलिया ओगाहणा संखेजगुणा) वैक्रियशरीर की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है (तेयाकम्मगाणं दो वि तुल्ला उकोसिया ओगाहणा असंखेजगुणा) तैजस और कार्यण दोनों की तुल्य उत्कृष्ट अवगाहना अलंख्यातगुणी है। __(जहाणुकोसियाए ओगाहणाए) जघन्योत्कृष्ट अवगाहना में (सम्वत्थोवा ओरालियसरीरस्त जहपिणया ओगाहणाः सथ से कम औदारिकशरीर की जघन्य अवगाहना है (तयासम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला जहणिया ओगाहणा घिसे.साहिया) तेजस-कार्मण दोनों की घरापर जघन्य अवगाहना विशेषाधिक है। (वेउश्चियसरीरस्त जहणिश ओगाहणा असंखेजगुणा) वैक्रियारीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणा है (आहारगलरीरस्स जहविणयाहिलो ओगाहणाहिंतो तस्ल चेव उक्कोसया ओगाहणा विसेसाहिया) आहारकशरीर की जघन्य अवगाहना से उस की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है (ओरालियसरीरस्स शरीरनी चन्य अवाना असभ्यता छ (उक्कोसियाए ओगाहणाए) Erge PAqानामा (सच्चथोवा आहारगसरीरस्स उच्छोसिया ओगाहणा) याथी माछी माह।२४शरी२नी उत्कृष्ट माना छे (ओरालियसरीरस्ट उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्जगुणा) २४शरीरनी Bare भगाउन सध्याती छे (वेउव्वियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्जगुणा) वैठिय. शरीरनी Ve Aqाना सयाती छे तेया कम्मगाणं दोवि तुल्ला उक्कोसिया ओगाहणा 'असंखेज्जगुणा) तैसि सने म मन्टनी स२मी उत्कृष्ट २५१माना Revital छे. (जहणुकोसियाए ओगाहणाए) न्योत्कृष्ट समानामा (सव्वत्थोवा ओरालियसरी रस्स जहणियां ओगाहणा) माथी माछी मोहा२ि४शरीरनी धन्य माना छ (तेया मन्नेनी ५२११२ कम्माणं दोवि तुल्ला जहणिया ओगाहणा विसेसाहिया) तेस- धन्य वाडना विशेषाधि छ (वेउब्धिसरीरम्स जहणिया ओगाहना असंखेज्जगुणा) वैठियशरा२नी धन्य माडना AAYUdit छे (आहारगसरीरस्स जहण्णिएहितो ओगाहणा

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