Book Title: Pragnapanasutram Part 04
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 748
________________ प्रमेयबोधिनी औका पद २१ ० ६ चैक्रियशरीरसंस्थाननिरूपणम् ওই सागरोपमाणि स्थितिस्तेषां त्रयोहरवालयो हस्तस्यैकादशभागाश्च, प्राणतेऽपि पल्पे येपामेकोनविंशतिः सागरोपमामि स्थितिस्तेपामपि त्रयोहस्तास्त्रयश्च इस्तस्यैकादशभागा भवधारणीया शरीरावगाहना, येषां तु प्राणते कल्पे विंशतिः सागरोपमाणि स्थितिस्तेषां त्रयोहस्ता द्वौ इस्तस्यैकादशभागौ च, पासारणेऽप कल्पे विंशतिः सागरोपमाणि स्थितिस्तेषामपि त्रयोहस्ता द्वौ च हस्तस्यै कादशभागों भवधारणीया शरीरावगाहना, येषां पुनरारणेऽपि कल्पे एकविंशतिः सागरोपमाणि स्थितिस्तेपो त्रयोत्स्ता एकश्च हस्तस्यैकादशभागो भवधारणीयाशरीरावगाहना, अच्युतेऽपि कल्पे येषामेकविंशतिः सागरोपमाणि स्थितिस्तेपामपि त्रयोहस्ता एकोहस्तस्यैकादशभागश्च अवधारणीया शरीरावगहना, येषां पुनरच्युते कल्पे द्वाविंशतिः सागरोपमाणि स्थितिस्तेपासुत्कृष्टेन परिपूर्णा स्त्रयोहस्ताः भवधारणीया शरीरावगाहना भवतीतिभावः, गौतमः पृच्छति-'गेविज्जगकप्पातीयवेमाणियदेवपंचिंदिय वेउव्वियसरीरस्स ण इससे किंचित् अधिक है, उनकी अवगाहना पूरे चार हाथ की होती है। जिन की स्थिति उन्नीस सागरोपम की होती है, उनकी अषणाहना तीन हाथ __और हाथ की होती है। प्राणत कल्प में भी जिन की स्थिति उन्नीस सागरोपम की है, उनकी भी तीन हाथ और हाथ की अवगाहना होती है। प्राणत कल्प में जिनकी स्थिति बीस सागरोपम की है, उनकी अवगाहना तीन हाथ __और हाथ की है। आरण कल्प में भी जिन देवों की स्थिति वीस साग रोपय की है, उनकी भी अवगाहना तीन हाथ और एक हाथ के भाग की होती हैं। आरण कल्प में जिन की स्थिति इक्कीस सागरोपम की है, उनकी भवधारणीय अवगाहना तीन हाथ और हाथ की होती है। अच्युत कल्प में भी-जिन की स्थिति इश्शील सागरोपम की है, उनकी भी अवधारणीय अवगाहना तीन हाथ और हाथ की होती है। जिन देवों की अच्युत फल्प में बाईस सागरोपन की स्थिति है, उन्नशी उत्कृष्ट अवगाहना तीन हाथ की होती है અવગાહના પૂરા ચાર હાથની હોય છે જેમની સ્થિતિ ઓગણસ સાગરોપમની હોય છે. તેમની અવગાહના ત્રણ હાથ . હાથની હોય છે. પ્રાણત કપમાં પણ જેમની સ્થિતિ ઓગણીસ સાગરોપમની છે, તેમની પ ત્રણ હાથ અને હાથની અવગાહના હોય છે, પ્રાણુત ક૯પમાં જેમની સ્થિતિ વીસ સાગરોપમની છે. તેમની અવગાહના ત્રણ હાથ અને 1 હાથની છે. આપણું ક૯યમાં પણ છે દેવેની સ્થિતિ વીમ સાગરોપમની છે, તેમની પણ અવગાહના ત્રણ હાથ અને એક હાથના - ભાગની હોય છે. આપણું કપમાં જેમની સ્થિતિ એકવીસ સાગરોપસની છે. તેમની ભવધારણીય અવગાહના કશું હાથની અને 5 હાથની હોય છે. અશ્રુત કપમાં પણ જેમની સ્થિતિ અર્વસ સારોપમની છે, તેમની પણ ભવધારણીય અવગાહના ત્રણ હાથ અને તે હાલની હોય છે જે દેવોની અસ્કૃત કપમાં બાવીસ સાગરોપમની સ્થિતિ છે, તેમની ઉપૃષ્ટ અવગાહની ત્રણ હાથની હોય છે, H० ९३

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