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प्रशपिनास्त्र हन्त गौतम ! जनत. नवरं वायु लेगानु पोडश भालापका', एवम् अन्तीपमानामपि। इति प्रज्ञापनायां अगत्यां लेकाई समाप्तम् । सप्तदशं पदश्च समाप्तम् ।। सू० २३ ॥ - टीका-पश्चयादेशके नैरयिकदेबलेश्नानां परिणायान्तराभावः प्रतिपादितः, अथ पाठोद्देशके कृष्णादिले पानामेव पुनर्वशिष्टयान्तरं पतिपादयितुमा :--'काइ णं भंते ! लेस्सा पण्णता? हे भदन्त ! कति-कियत्यः खलु लेश्याः प्रज्ञप्ताः ? भगानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! 'छलेस्सा पण्णत्ता' पड्लेश्याः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा-वह लेस्सा जाव सुक्कलेस्सा' अकर्मभूमि का कृष्णलेश्या वाला मनुष्य अकर्म भूमि की कृष्णलेश्या वाली स्त्री से अकर्मभूविक कृष्णलेश्या वालाभ को उत्पन्न करता है ? (हंता गोयमा! जणेजा) हां गौतम ! उत्पन्न करता है (नवरं च उस्लु लेख्लास्लु) विशेष चार लेश्या
ओं मे (सोलस आलावगा) सोलह आलापक (एवं अन्तरदीवगाण वि) इसी प्रकार अंतरदीएजों के भी। (इति पण्णवणाए भगवई लेस्तापय समत्तं रस्त्तर श्यं च समतं)
प्रज्ञापना भगवती का लेश्या पद समाप्त।
सत्तरहयां पद समाप्त टीकार्थ-पांचवें उद्देशक में नारकों और देवों मे लेश्या का परिवर्तन नहीं होता, यह प्रतिपादन किया गया था। इस छठे उद्देशक में कृष्ण आदि लेश्याओं की विशेषता का प्रतिपादन किया जाता है
गौतमस्वामी-हे भगवन् ! लेश्याएं कितनी कही गई हैं ?
भगवान्-हे गौतम ! छह लेश्याएं कही गई है। वे इस प्रकार हैं-कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेशमा, तेजोवेश्या, पालेश्या और शुक्ललेश्या।
गौतमस्थामी-हे भगवन् ! अनुष्यों को कितनी लेश्याएं कही हैं ?
भगवान्-हे गौतम ! छह लेश्याएं कही हैं, वे इस प्रकार हैं-कृषालेल्या, नीलपानी स्त्रीया स४म भूमि४ वेश्यावाणा मन -नरेछ (तागोयमा | जणेज्जा) ही गीतम! पल ४२ छ (नवर चउसु लेस्सास) विशेष-यार सश्यामाभा (सालस आलावगा) से PA५४ (एवं अन्तर दीवगाण वि) प्ररे मत२ द्वीपमा पं.
(इति पण्णवणाए भगवइए लेस्सापयं समतं, सत्तरस पयं च समत्तं)
પ્રજ્ઞાપના ભગવતીનું લેશ્યાપર સમાપ્ત, સત્તરમું પદ સમાપ્ત. . ટીકાથ–પાંચમા ઉદ્દેશકમાં ન રકો અને દેશમાં લેશ્યાના પરિવર્તન થતા નથી એ પ્રતિપાદન કરાયું હતું આ છ ઉદ્દેશકમાં કૃણ આદિ લેશ્યાઓની વિશેષતાનું પ્રતિપાઇને ४२राय छ
શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન !લેશ્યાઓ કેટલી કહેલી છે?
શ્રી ભગવાન !–હે ગૌતમ ! છ લેશ્વાએ કહેલી છે. તે આ પ્રકારે કૃષ્ણલેશ્યા, ની લેશ્યા, કાપતલેશ્યા, તેજલેશ્યા, પદ્મશ્યા અને શુકલેશ્યા.
શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન્ ! મનુષ્યની કેટલી લેશ્યાએ કહી છે?