________________
६२२
___ अंधानास्त्र ओहिया वाणमंतरा पुच्छिज्जंति, एवं जोइलियाण वि ओहिया, एवं सोहम्मे जाव अच्चुरदेसरीरे, गेवेजगप्पातीत वेमाणिय देव. पंचिदिय वेउब्वियसरीरेणं संते ! कि संठाणसंठिए पण्णत्ते? गोथमा! गेवेजगदेवाणं एगे भवधारणिज्जे सरीरे, ले णं समचउरंससंटाणसंठिए पण्णत्ते, एवं अणुत्तरोइवाइयाण वि ।।५० ५॥ ___ छाया-वैक्रियशरीरं खलु भदन्त ! हि संस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! नानासंस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम्, वायुकायिकैकेन्द्रिय क्रियशरीरं खलु भदन्त ! कि संस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! पताकासंस्थानसं स्थितं प्रज्ञलम्, नैरयिकपञ्चेन्द्रिय क्रियशरीरं खलु भदन्त ! किं संस्थानसंस्थित प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! नैरपिकपश्चन्द्रियवैक्रियशरीरं द्विविधं प्रज्ञप्सम, तद्यथाभवधारणीयञ्च उत्तरवैक्रियञ्च, तत्र खलु यददो अवधारणीयं तत् खलु हुण्डसंस्थानसंस्थितं
वैक्रियशरीर का संस्थान शब्दार्थ-(वेउब्धियशरीरे णं भंते ! कि संठाणसंठिए पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! वैक्रियशरीर किस आकार का कहा गया है। (गोयमा! नाणासंठाणसंठिए पपणत्ते) हे गौतम ! अनेक आकार का कहा गया है (वाउझाइयएगिदिय वे उब्धियसरीरे णं भंते ! कि संठाणसंठिए पण्णते?) हे भगवन् ! वायुकायिक एकेन्द्रियो का वैक्रियशरीर लिस आकार का कहा है ? (भोयमा ! पडागा संठाणसंठिए पण्णत्ते) हे गौतम! पताका के आकार का कहा है (नेरक्य पंचिंदिध वेउब्वियसरीरेणं भंते! किंसंठाणसंठिए पण्णते ?) हे भगवन् ! नारक पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर किस आकार का कहा है ? (गोयमा ! नेरइपंचिंदियवेउन्धिसरीरे दुविहे पणत्ते) हे गौतम ! नारक पंचेन्द्रियों का वैकि शरीर दो प्रकार कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (भबधारणिज्जे व उत्तरउचिए य) अवधारणीय और उत्तरवैक्रिय
યિશરીરના સંસ્થાન शहाथ-(वेउब्वियसरीरेण भंते ! किं संठाणसंठिए पण्णत्ते १) ॐ मावन् । यिशN२ १ मा४२ ना ४९सा छ ? (गोयमा । णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते) गौतम ! भने ४ ।।२ना sai (वाउकाइयएगिदियदेउब्वियसरीरेणं भंते । किं संठाणसंठिए पप्णत्ते ?) 3 मावान् । वायुय४ मेन्द्रियाना वैठियशरी२ । मा४२ना ४ा छ ? (गोयमा एडागा संठाण संठिए पण्णत्ते) हे गौतम ! ५तानी 24|४|२ri sai छ (नेरइय पंचिदिय वेउव्वियसरीरेणं भंते । कि संठाणसंठिए पण्णत्ते ?) 3 साप । ना२४ पयन्द्रियाना 8५०२२ 340 ।।२ना ४i छ १ (गोयमा ! णेरइय पंचिंदिय वेउब्धियसरीरे दुविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! ना२४ पन्द्रियोन। यिशरीर में प्र४।२। ४६i छ (नं जहा) ते सा रे MAA (भवधारणिज्जेय मत्तरवेउव्विएय) सधारणीय मन उत्तरवैठियशरीर (तत्थणं जे से भवधारणिज्जे से णं हुंडकसंठाण