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प्रमैयबोधिनी टीका पद २१ लू० २ औदारिकशरीरसंस्थाननिरूपणम् नामपि एवञ्चैत्र, पर्याप्तापर्याप्तानामपि एवञ्चैत्र, संमूच्छिमानां पृच्छा, गौतम ! हुण्डसंस्थानसंस्थिताः प्रज्ञप्ताः ।। सू० २ ॥
टीका-अथ पूर्वोक्तानामौवारिकशरीराणां यथा निर्देश संस्थानानि प्ररूपयितुमाह'ओरालियसरीरेणं भंते ! किं संठिए पण्णत्ते ?' हे भदन्त ! औदारिकशरीरं खलु कि संस्थितं-फिमाकारं प्रज्ञप्तस् ? भगवानाइ-'गोयमा !" हे गौतम ! 'णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते'
औदारिकशरीरं तावत् नानासंस्थानसंस्थितस्-नानासंस्थानेषु-विविधाकारेषु नानासंस्थान: हुंडे) वह इस प्रकार-समचतुरस्त्र यावत् हुंड (पजत्तापजत्ताण वि एवं चेव) पर्यासों और अपयांतों का भी इसी प्रकार (गन्भवतियाण वि एवं चेव) गर्भजो का भी उसी प्रकार (पज्जत्तापजत्ताण वि एवं चेव) पर्याप्तको-अपर्याप्तको का भी इसी प्रकार (संभुच्छिमाणं पुच्छा ?) संसूछिमों संबंधी प्रश्न ? (गोयमा! हुंडसंठाणसंठिया पण्णत्ता) हे गौतम ! हु ड संस्थान वाले कहे हैं
टीकार्थ-पूर्वोक्त औदारिक शरीरों के संस्थान अर्थातू आकार का अब अनु क्रम से प्ररूपण करते हैं।
गौतमस्वामी-हेभगवन् ! औदारिकशरीर किस आकार का कहा गया है ?.
भगवालू-हे गौतम ! औदारिक शरीर के संस्थान अनेक होते हैं, क्योंकि जीवों में जातियों के भेद से शरीर की आकृति में भी भेद हो जाता है। ____गौतमस्वामी-हे भगवन् ! एकेन्द्रियों का औदारिक शरीर किस आकार का कहा है?
भगवान हे गौतम ! एकेन्द्रिय का औदारिक शरीर नाना संस्थान वाला होता है, क्योकि एकेन्द्रियों में पृथ्वी काय आदि गभित हैं और उन सब का यमयतुरसे यावत (पज्जत्तापज्जत्ताण वि एवं चेव) पर्याप्त मन पर्याप्तीना पर मे प्रारे (गम्भवकंतियाण वि एवं चेब) ना ५५ मे४ प्र४ारे (पज्जत्तापज्जत्ताण वि एवं चेव) पर्याप्ती-२०५याताना पY ४ घरे (समुच्छिमाणं पुच्छा ?) स भूछिभा समाधी प्रश्न छ. (गोयमा ! हुइ स ठाणसठिया पण्णत्ता) 3 गौतम ! हुई सस्थाना i .
ટીકાર્થ–પૂર્વોક્ત ઔદારિક શરીરના સંસ્થાન અર્થાત આકારની હવે અનુક્રમે પ્રરૂપણ
શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન ! દારિક શરીર કેવા આકારના કહેલા છે ?
શ્રી ભગવાન–હે ગૌતમ ! દારિક શરીરના સ સ્થાન અનેક હોય છે, કેમકે જેમાં જાતિના ભેદથી શરીરની આકૃતિમાં પણ ભેદ થઈ જાય છે.
શ્રી ગૌતમસ્વામી-હે ભગવન્! એકેનિદ્રના ઔદારિકશરીર કેવા આકારના કહ્યાં છે?
શ્રી ભગવાન હે ગૌતમ! એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીર નાના સ સ્થાનવાળા હોય છે, કેમકે એકેન્દ્રિમાં પૃથ્વીકાયિક આદિ ગર્ભિત છે અને તે બધાના સંસ્થાન અલગ