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प्रमेययोधिनी टीका पद २१ सू० ४ वैक्रियशरीरमेदनिरपणम् शरीरम् ? किंवा वायुकायिकैकेन्द्रियवैक्रियशरीरम् ? भगानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! 'वाउकाइय पगिदिय वेउबियसरीरे नो अवाउकाइप एगिदिय वेउन्धियसरीरे' वायुकायिकैकेन्द्रियवैझियशरीरं भरति नो अवायुकायिकैकेन्द्रियवैक्रियशरीरं संभवति, गौतमः पृच्छति'जह वाउकाइय वेउन्धियसरीरे किं सुहुमबाउकाइयवेउब्वियसरीरे, बायर वाउक्काइयवेउनियसरीरे ? हे भदन्त ! यदि वायुकायिकवैक्रियशरीरं भवति तत् किं सूक्ष्मवायुकायिकवैक्रियशरीरं भवति ? किंवा बादरवायुकायिकवैक्रियशरीरम् भवति ? भगवानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! 'नो सुहुम वाउक्काइयएगिदियवेउब्धियसरीरे, बायरवाउकाइय एगिदियवेउ. ब्वियसरीरे' नो सूक्ष्मवायुकायिकैकेन्द्रियवैक्रियशरीरं संभवति, अपितु वादरवायुकायिकैकेन्द्रियक्रिशरीरं भवति, गौतमः पृच्छति-'जइ वायस्वाउकाइयवेउब्वियसरीरे कि पज्जत्तग पायरवाउकाइयागिदियवेउब्धियसरीरे, अपज्जत्तम बायरवाउकाइय एगिदियवेउब्धियसरीरे ?' हे भदन्त ! यदि वादरवायुकायिकवैक्रियशरीरं भवति तत् किम् पर्याप्तक बादरवायुकायिककेन्द्रियवै क्रियशरीरम् ? किंवा अपर्याप्तक बादरवायुकायिकैकेन्द्रियवैक्रियशरीरम् ? भगवानाहअर्थातू धायुकायिकों से भिन्न पृथ्वीकायिक आदि का ? : भगवान्-हे गौतम ! वायुकायिक एकेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है, अवायुकायिक एकेन्द्रियों का वैक्रियशरीर नहीं होता।
गौतमस्वामी-हे भगवन् ! यदि वायुकायिक एकेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है तो क्या सूक्ष्मवायुकायिकों का वैक्रियशरीर होता है अथवा बादर घायुका यिकों का वैक्रियशरीर होता है ? , भगवान्-हे गौतम ! सूक्ष्मवायुकायिक एकेन्द्रियों का वैक्रियशरीर नहीं होता किन्तु बादर वयुकायिक एकेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है।
गौतमस्वामी-हे भगवन् ! यदि घादर वायुकायिक एकेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है तो क्या पर्याप्तक बाद वायुकायिक एकेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है अथवा अपर्याप्तक बाद वायुकायिक एकेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है
શ્રી ભગવાન-હે ગૌતમ ! વાયુકાયિક એકેન્દ્રિયેના વૈક્રિયશરી હોય છે, અવાયુકાયિક એકેન્દ્રિયોના વક્રિયશરીર નથી હોતાં. * શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન ! યદિ વાયુકાયિક એકેન્દ્રિના ફિચશરીર હોય તે છે સૂક્ષમ, વાયુકાયિકના ક્રિયશરી હોય છે અથવા બાદર વાયુકાયિકોના વેકિયશરી હોય છે? - શ્રી ભગવાન-હે ગૌતમ ! સૂકમ વાયુકાયિક એકેન્દ્રિના ક્રિયશરીર નથી હોતાં પણ બાદર વાયુકાયિક એકેન્દ્રિના ક્રિયશરીર હોય છે. | શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન ! યદિ બાદર વાયુકાયિક એકેન્દ્રિયના વક્રિયશરીર હોય છે તે શું પર્યાપ્ત બદર વાયુકાયિક એકેન્દ્રિયોના વૈક્રિયશરીર હોય છે અથવા અપર્યાપ્તક बा२पायि४ मेन्द्रियाना यशरीर डाय छ ? ..