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प्रमेयवोधिनी टीका पद २० सू० ११ शरीरभेदननिरूपणम् विधं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! द्विविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-प्रक्ष्मपृथिवीकायिकै केन्द्रियौदारिकशरीरम्, चादर पृथिवीकायिकैन्द्रियौदारिकशरीरञ्च, सूक्ष्मपृथिवीकायिकैकेन्द्रियौदारिकशरीरं खलु भदन्त ! कतिविधं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! द्विविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-पर्याप्तक सूक्ष्मपृथिवीकायिकैकेन्द्रियौदारिकशरीरञ्च, अपर्याप्तक सूक्ष्मपृथिवीक्षायिकैकेन्द्रियौदारिकशरीरञ्च, बादरपृथिवीकायिका अपि एवञ्चैव, एवं यावद् वनस्पतिकायिकैकेन्द्रियौदारिकशरीरञ्चेति, द्वीन्द्रियौदा. फहकायएगिदिय ओरालियसरीरे) वे इस प्रकार-पृथ्वीकायिक एलेन्द्रिय औदारिकशरीर यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीर (पुढवि. काइयएगिदिय ओरालियसरीरे णं भंते ! कईविहे पण्णत्त) पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिकशरीर हे भगवन् ! कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! दो प्रकार का कहा है (तं जहा-सुकुम पुढविकाइयएगिदिय ओरालियसरीरे वादर पुढविकायएगिदिय ओरालियसरीरे य) वे इस प्रकार-सक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीर और बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिकारीर (सुहुमपुढवि कायएगिदिय ओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) सक्षमपृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिकशरीर हे भगवन् ! कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! दो प्रकार कहा है (तं जहा-पज्जत्तगसुहुमपुढविकाइयएगिदिय ओरालियसरीरे य अपज्जतगसुहमपुढविकाइय एगिदिय ओरलियसरीरे य) वे इस प्रकार-पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीर और अपर्याप्तक सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीर (वायर पुढविकाइयावि एवं चेच) बादर पृथ्वीकायिकों जाव वण'फइकाइय एगिदियओरालियसरीरे) ते मा ४ारे-पृथ्वी 14 सन्द्रिय सोही शरीर यावत् वनस्पतियx-मेन्द्रिय-मोहा२४२२२ (पुढविकाइय एगिदिय ओरालियम गरे भने । कविहे पण्णत्ते १) पृ2वीयि येन्द्रिय मोडारिशरी२ ७ मापन ! ४८०। ५४२ ४i छे ? (गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते) 3 गौतम ! मे ४१२ ४i (तं जहा-सुहुमपुढविकाइय एगिदियओरालियसरीरे वादरपुढविकाइय एगिदियओरालिय सरीरे य) ते ॥ प्रारे-सूक्ष्म पृथ्वी४ि मेन्द्रिय मोहरिशरी२ गते सारथ्वी४५४ मेन्द्रिय महा२ि४शरी२ (सुहुम पुढविकाइय एगिदियओरालियसरीरेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) सूक्ष्म पृथ्वीय४ मेन्द्रिय मो२ि४शरीर 3 लापन् । टस ४२न। ४i छ १ (गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते) गौतम ! मे. ४२ना ४i छे (तं जहा-पज्जत्तग सुहम पुढविष्काइयएगिदिय ओरालियसरीरे य अपज्जत्तग सुहुमपुढ विक्काइय एगिदिय ओरालियसरीरे य) ते ॥ ५४॥२-पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वी।यि४ मेन्द्रिय मोहरिशरीर भने अपयति सूक्ष्म वी1ि8 मेन्द्रिय मोहा२४ २०१२ (बादर पुढविकाइयावि एवं चेव)
२ श्रीयाना २ ५७ मे मारे (एवं जाव वणस्सइकाइय पागदिए ओरालियत्ति)
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