________________
६५६
मापना
संस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम्, एवं पर्याप्तापर्याप्तानामपि, एवं त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रियाणामपि, पत्रेन्द्रियतिर्यग्योनिकोदारिकशरीरं खल्लु भदन्त ! कि संस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! पहविधसंस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तस्, तपथा-समचतुरससंस्थानसंस्थितं यावद् हुण्डसंस्थानसंस्थितमपि, एवं पर्याप्तापर्याप्तानामपि ३, संमृच्छिम तिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियौदारिकशरीरं खलु भदन्त ! कि संस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम्, गौतम ! हुंडसंस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम् एवं पर्याप्तापर्याप्तानामपि, गर्भव्युत्क्रान्तिकतिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियौदारिकशरीरं खलु भदन्त ! कि संस्थानसूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्त का भी
(वेइंदिय ओरालियसरीरे णं संते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! हीन्द्रिय-औदारिकशरीर किस आकार का है ? (गोयमा! हुंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते) हे गौतम ! हुंडक संस्थान वाला कहा है (एवं पजत्तापजत्ताण वि) इसी प्रकार पर्याप्तों और अपर्याप्तों का भी (एवं तेइदिय-चरिंदियाण वि) इसी प्रकार त्रीन्द्रियों-चतुरिन्द्रियों का भी (पंचिंदियतिरिक्वजोणिय ओरालियसरीरे णं भते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ?) पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक औदारिक शरीर हे भगवन् ! किस आकार का है ? (गोयमा ! छचिहसंठाणसंठिए पण्णत्ते) हे गौतम ! छह प्रकार के आकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (समचउरंस संठाणसंठिए जाव हुंडसठाणसंठिए वि) समचौरस संस्थान वाला यावत् हुंडक संस्थान वाला (एवं पजत्तापजत्ताण वि) इसी प्रकार पर्याप्तों-अपर्याप्तों का भी (संमुच्छिमतिरिक्ख जोणियपंचिंदिय ओरालियसरीरेणं भाते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते?) संमूर्छिम तिर्यंच पंचेन्द्रियों का औदारिक शरीर हे भगवन् ! किस
मा ४i छ (एवं सुहुम बायर पज्जत्ता पन्जत्ताण वि) वारे सूक्ष्म, मा६२, પર્યાપ્ત અને અપર્યાપ્ત પણ
(बेइंदिय ओरालियसरीरे णं भंते । कि सठाणस ठिए पण्णत्त ?) 3 भगवन् ! द्वीन्द्रिय मोहा२४२ वा मानना ह्यां छ(गोयमा ! हंडस ठाणसठिए पण्णत्ते) हे गौतम ! ९४४ स्थानमा छ (एवं पज्जत्ता पज्जत्ताण वि) मे ४ारे पर्याप्त माने ५५ताना ५] (एवं तेइंदिय-चउरिदियाण वि) मे हारे बीन्द्रयो यतुरिदियो .
(पंचिंदियतिरिक्खजोणिय ओरालियसरीरेणं भंते । किं ठाणस ठिए पण्णत्ते ?) पयन्द्रिय तिययानि मोहा२ि४शरीर उमापन है। माना छ ? (गोयमा ! छव्विहस ठाणस ठिए पण्णत्ते) 8 गौतम ! ७ ५३२॥ ४i छ (तं जहा) ते २॥ मारे (समचउरंसस ठाण. संठिए वि जाव हुड स ठाणस ठिए वि) सभयोरस स स्थान यापत हु४ संस्थानवाया (एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि) से प्रहारे पर्याप्त मते अपर्याप्ताना ५g.
(समुच्छिम तिरिक्खजोणिय पंचिदिय ओरालियसरीरे ण भंते ! कि संठाणस ठिए पण्णत्ते) સંભૂમિ તિર્યંચ પચેન્દ્રિના ઓદારિક શરીર ભગવન્ ! કેવા આકારના કહ્યાં છે ?