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प्रशापनासूत्रे प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! पड्लेश्याः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-कृष्णा यावत् शुक्लाः, एवं कर्मभूमिगमनुषीणामपि, भातैरवतमनुष्याणां भदन्त ! कतिलेश्याः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! पडलेश्याः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-कृष्णा यावत्-शुक्ला, एवं मनुपीणामपि, अर्मभूविगमनुष्याणां पृच्छा, गौतम ! चतस्रो लेश्याः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-कृष्णा यावत् तेजोश्या , एवम् अकर्मभूमिग(गोयमा ! छल्लेसाओ पण्णत्ताओ) हे गौतम ! छह लेश्यात कही हैं (त जहाकण्ह जाव लुक्झा) वे इस प्रकार-कृष्ण यावत् शुक्ल (कम्मभूमयमणुस्साणं भंते ! कई लेस्साओ पण्णत्ताओ? ) कर्मभूमिज मनुष्यों को कितनी लेश्याएं कहीं है ? (गोयमा ! छ लेस्साओ पण्णत्ताओ) हे गौतम ! छह लेश्याएं कहीं है (तं जहा कण्हा जाव सुक्का) वे इस प्रकार-कृष्ण थावत् शुक्ल (एवं कम्मभूमय मणुस्सीण वि) इसी प्रकार कर्मभूमिज मनुष्यस्त्रियों को भी (भरहेरवयमणुस्साणं भंते! कतिलेस्साओ पण्णत्ताओ?) हे भगवन् ! भरत-ऐरवत क्षेत्र के मनुष्यों को कितनी लेश्याएं कहीं हैं ? (गोयमा ! छ लेस्लाओ पण्णत्ताओ) हे गौतम! छह लेश्याएं कही हैं (तं जहा-कण्हा जाव सुक्का) कृष्ण एवं शुक्ल (एवं मणुस्सी वि) इसी प्रकार मनुष्यस्त्रियों को भी (पुव्वविदेह अवरविदेह कम्मभूमयमणुस्साणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ गोयमा! छ लेस्लाओ तं जहा कण्हा एवं सुक्का) एवं मणुस्तीण वि) पूर्व विदेह अपर विदेह कर्मभूमिज मनुष्यों की हे भगवन् कितनी लेश्या कही गई हैं हे गौतम छह लेश्याए, वे इस प्रकार हैं कृष्णयावत शुक्ल' इसी प्रकार मनुष्यस्त्री के संबंध में भी (अकस्मभृमयमणुस्साणं पुच्छा?) अकर्मभूमिज मनुष्यों संबंधी पृच्छा ? (गोयमा ! चत्तारि लेस्लाओ पण्णत्ताओ) गौतम ! चार वेश्यायो ४ी छे (तं जहा-कण्ह जाव सुक्का) तसा २॥ प्रहार- यावत् शुस (कम्मभूमग मणुस्साणं भंते । कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ?) भभूमि भनुष्याने ही
श्याम। ४ी छ ? (गोयमा ! छ लेस्साओ पण्णत्ताओ) गौतम ७ वेश्यामा ४६ी छे (तं जहा-कण्ह जाव सुक्का) तो मा शते थे यावत् शुस (एवं कम्मभूमय मणुस्मीण वि) रे ४म भूमि ॥ मनुष्य लियोन एy (भरहेरवयमणुस्साणं भंते ! कति लेस्साओ पण्णत्ताओ?) 3 लावन् । भरत-मरवत क्षेत्रना मनुष्यान इसी सेश्या। ४. छ ? (गोयमा । छ ल्लेस्साओ पण्णत्ताओ) गौतम । छये सेश्याच्या ४ी छ (त जहा-कण्ह जाव सुक्का) ४३५ तेभा शु४३ (एवं मणुस्सीण वि) मे ५४१२ मनुष्यनियान ५ (पुत्र विदेह अवरविदेह कम्मभूमय मणुस्साणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ ?) पूविड म५२।११ ४म भूमि १ भनुष्यनी मापन् । हेटसा वेश्या ४९सी छ ? (गोयमा ! छ लेस्साओ, तं जहा कण्हा जाव सुक्का) गौतम ! ७ श्यामे, तसा 20 प्रहार छ-४ यावत् शुस (एवं मणुस्सी वि) से प्रारे भानुषी ५५(अकम्मभूमय मणुस्साणं पुच्छा १) २४भ भूमि सध्या सधी ? (योगमा । 'च'तारि लेस्साओ पण्णताओ) हे गौतम ! ॥२ १२याना