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प्रथापनारले पम्हलेस्सा सुक्कलेस्सा, एवं तओ अविसुद्धाओ, तओ विसुद्धाओ, तओ अप्पसत्थाओ, तो पसत्थाओ, तओ संकिलिटाओ, तओ असंकिलिट्राओ, तओ सीतलुक्खाओ, तओ निधुण्हाओ, तओ दुग्गतिगामियाओ, तओ सुगतिगामियाओ ॥सू० १९॥
छाया-कति खलु भदन्त ! लेश्याः दुरभिगन्धाः प्रज्ञप्ताः ? गौतग ! तिस्रोलेश्या दुरभिगन्धाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-कृष्णलेश्या, नीलले श्या कापोतलेश्या, कति खलु भदन्त ! लेश्याः सुरभिगन्धाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! तिस्रो लेश्याः सुरभिगन्धाः प्रज्ञप्ता, तद्यथा-तेजोलेश्या, पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या, एवं तिस्रः अविशुद्धाः, तिस्रो विशुद्धाः, तिस्रोऽप्रशस्ताः,
गन्धद्वार शब्दार्थ-(कइ णं भंते ! लेस्साओ दुन्मिगंधाओ पण्णत्ताओ?) हे भगवन् ! कितनी लेश्याएं दुर्गन्ध वाली कही गई हैं ? (गोयमा! तओ लेस्साओ दुन्भिगंधाओ पण्णत्ताओ) हे गौतम ! तीन लेश्याएं दुर्गन्ध वाली कही गई हैं (तं जहा-फण्हलेस्सा नीललेसा, काउलेस्सा) वे इस प्रकार-कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या
' (कई णं भंते ! लेस्साओ सुन्भिगंधाओ पण्णत्ताओ) हे भगवन् ! कितनी लेश्याएं सुगंध वाली कही गई हैं ? (गोयमा! तओ लेस्साओ सुन्भिगंधाओ पण्णत्ताओ) हे गौतम! तीनलेश्याएं सुगंध वाली कही हैं (तं जहा-तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा) वे इस प्रकार-तेजोलेश्या, पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या (एवं) इसी प्रकार (तओ अविसुद्धाओ, तओ विसुद्धाओ) तीन अविशुद्ध हैं तीन विशुद्ध हैं (तओ अप्पसत्थाओ, तो पसत्थाओ) तीन अप्रशस्त, तीन प्रशस्त हैं (सओ संकिलिहाओ, तओ असंकिलिहाओ) तीन संक्लिष्ट, तीन .
सन्ध-दार Avtथ-(फइणं भंते ! लेस्साओ दुन्भिगंधाओ पण्णताओ ?) भगवन् ! दी श्याम दुधवाजी ४डी छ १ (गोयमा ! तओ लेस्साओ दुन्भिगंधाओ पण्णताओ) 8 गौतम ! १९ सेश्यागी दुनियवाणी ४९मा छ (तं जहा-कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा) तमा પ્રકારે કૃષ્ણલેશ્યા, નીલેશ્યા અને કાતિલેશ્યા. '
(कइणं भंते ! लेस्साओ सुन्भिगंधाओ पण्णत्तामओ १) मगवन्! मी श्याम सुगन्धवाजी ४९मा १ (गोयमा ! तओ लेस्साओ सुब्भिगंधाओ पण्णत्ताओ) 3 गौतम सेश्याम भुगवाणी ४ (तं. जहा-तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा) तेमा मा शत -तश्या , पद्मश्या मन शुसवेश्या..
(एवं) 2 प्रारे (तओ अविसुद्धाओ, तओ विसुद्धाओ) अविशुद्ध छ भने त्रय विशुद्ध (तओ अप्पसत्याओ तओ . पसत्थाओ) र मत छ, त्रय प्रश२ छ (ती