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प्रमेययोधिनो टीका पद १७ सू० २१ लेश्यास्थाननिरूपणम्
२७९ जघन्यानि कापोतलेश्यास्थानानि द्रव्यार्थतया, जघन्यानि नीललेश्यास्थानानि द्रव्यार्थतया असंख्येयगुणानि, एवं कृष्ण तेजः पदमलेश्यास्थानानि जघन्यानि द्रव्यार्थतया असं. ख्येयगुणानि, जघन्यानि शुक्ल लेश्यास्थानानि द्रव्यार्थतया असंख्येयगुणानि, जघन्येभ्यः शुक्ललेश्या स्थानेभ्यो द्रव्यार्थिकेभ्य उत्कृष्टानि कापोतलेश्यास्थानानि द्रव्यार्थतया असं खयेयगुणानि, उत्कृष्टानि नीललेश्यास्थानानि द्रव्यार्थतया असंख्येयगुणानि, एवं कृष्णतेजः पद्मलेश्यास्थानानि उत्कृष्टानि द्रव्यार्थतया असंख्येयगुणानि उत्कृष्टानि शुक्ललेश्यास्थानानि द्रव्यार्थतया असंख्येण्गुणानि, प्रदेशार्थतया सर्वस्तोकानि जघन्यानि कापोतलेश्यायाए) हे गौतम ! सब से कम जघन्य कापोतलेश्या के स्थान द्रव्य की अपेक्षा से हैं (जहन्नया नीललेस्सठाणा दवट्ठयाए असंखेजगुणा) जघन्य नीललेश्या के स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यात गुणा हैं (एवं कण्ह तेउ-परलेस्सठाणा) इसी प्रकार कृष्णलेश्या, तेजोलेश्या, पालेश्या के स्थान (जहणया सुक्कलेस्सठाणा
वट्टयाए असंखेजगुणा) जघन्य शुक्ललेश्या के स्थान द्रव्य की अपेक्षा से असं ख्यातगुणा हैं (जहान एहिंतो सुकलेरसा ठाणे हितो वट्टयाए उक्कोसा काउले. स्सठाणा दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा) जघन्य शुक्ललेश्या के स्थानों से द्रव्य की अपेक्षा उत्कृष्ट कापोतलेश्या के स्थान असंख्यातगुणा हैं (उक्कोसा नीललेस्साठाणाव्ववयाए असंखेजगुणा) उत्कृष्ट नीललेश्या के स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणा हैं (एवं कण्ह तेउ पह्म) इसी प्रकार कृष्ण, तेज और पालेश्या (उक्कोसा सुक्कलेस्साठाणा दवट्टयाए असंखेजगुणा) उत्कृष्ट शुक्ललेश्या के स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणा हैं (पएसट्टयाए सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेस्सठाणा) प्रदेशों की अपेक्षा सब से कम जघन्य कापोतलेश्या के स्थान हैं
धन्य पातोश्याना स्थान द्रव्यनी अपेक्षाथी छ. (जहण्णगा नीललेस्सा ठाणा दव्यद्वयाए असंखेज्जगुणा) धन्य नसतश्याना स्थान द्र०५नी अपेक्षा असभ्यात छे (एवं कण्हते उपम्हलेस्सा ठाणा) मे सारे वेश्या, तोश्या, पमलेश्याना स्थान ना, (जहण्णया सुक्कलेस्सा ठाणा दबट्टयाए असंखेज्जगुणा) ४धन्य शुसवेश्याना स्थान द्र०यनी अपेक्षा असण्यातगए। छे (जहण्णएहितो सुक्कलेस्साहाणेहितो व्वट्ठयाए उक्कोसा फाउलेस्सा ठाणा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा) ४धन्य शुसवेश्याना स्थानायी दयनी अपेक्षाध्ये Segoe पातोश्याना स्थान मन्यातमा छ (उक्कोसा नीललेस्सा ठाणा व्ययाए असंखेज्जगुणा) अष्ट नीसवेश्याना स्थान द्रव्यनी अपेक्षा असभ्यात छ (एवं कण्हतेउ. पम्ह) ये मारे ४], ते अन पदमश्या समवी. (उक्कोसा सुक्कलेस्सा ठाणा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा) Gष्ट शुसाश्याना स्थान द्रव्यनी अपेक्षा गसण्यातगा। छ (पएसटयाए सव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्साठाणा) प्रशानी अपेक्षा माथी माछा धन्य पोतश्या ध्यान छ (पएसट्ठयाए जहण्णगा नीललेना ठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा) प्रशानी