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प्रमेययोधिनी टीका पद १७ सू० १६ लेश्यापरिणमनिरूपणम्
२०९ तया भूयो भूयः परिणमति, हन्त, गौतम ! वृष्णलेश्या नीललेश्यां प्राप्य यावत् शुक्लेश्यां प्राप्य तद्रूपतया तद्गन्धतया तत्स्पर्शतया भूयो भूयः परिणमति, तत् केनार्येन भदन्त ! एवमुच्यते-कृष्णलेश्या नीललेश्यां यावत् शुक्ललेश्यां प्राप्य तदुरूपतया यावद भूयो भूयः परिणमति ? गौतम ! तद् यथा नाम वैडूर्यमणिः स्यात् कृष्णसूत्रे वा-नीलसूत्रे वा लोहितसूत्रे वा हारिद्रसूत्रे वा शुक्लसूत्रे वा आगते सति तद्रूपतया यावद् भूयो भूयः णमइ) तद्प, तवर्ण, तद्गंध, तद्रस, तत्स्पर्श रूप में बार-बार परिणत होती है ? (हंता गोयमा !) हां गौतम ! (कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प) कृष्णलेश्या नील: लेश्या को प्राप्त होकर (जाब सुकलेरसं पप्प) यावत् शुक्ललेश्या को प्राप्त करके (ता रूवत्ताए ता दण्णत्ताए ता गंधत्ताए ता फासत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमह) उसी के रूप, उसी के वर्ण उसी के गंध, उसी के स्पर्श के स्वरूप में बार-बार परिणत होती है
(से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ) हे भगवन् ! किस हेतु से ऐसा कहा जाता है (कण्हलेस्सा नीललेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प) कृष्णलेश्या नीललेश्या को यावत् शुक्ललेश्या को प्राप्त होकर (ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुज्जो परिणमद ?) उसी के रूप में यावत् बार-बार परिणत होती है ? (गोयमा ! से जहा णामए वेरुलियमणी) हे गौतम ! जैसे कोई वैडूर्यमणी (सिथा किण्हसुत्तए वा) कदाचित् काले सूत में (नीलसुत्तए वा) या नील सूत में (लोहियसुत्तए वा) या लाल सूत में (हालिद्दसुत्तए वा) या पीले सूत में (सुकिल्लसुत्तए वा) या श्वेत सूत में (आइए समाणे) पिरोने पर (ता रूवत्ताए) उसी के रूप में (जाव) यावत् (भुज्जो भुज्जो शु४३श्याने भारत ४02 (ता रूवत्ताए, ता वग्णत्ताए ता गंधत्ताए ता रसत्ताए ता फासत्ताए भुज्जो मुज्जो परिणमइ) ते ३५, तप तहमध, तरस त५॥ ३५मा वारपार परिणत थाय छ ? (हंता गोयमा !) 1, गौतम ! (कण्हलेस्सा नीललेरस पप्प) वेश्या नातोश्याने प्राप्त थईन (जाव सुक्कलेस्स पप्प) यावत् शुसवेश्याने प्राप्त ४शन (ता रूवत्ताए, ता वण्णत्ताए (ता गंधत्ताए ता फासत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमइ) तेन। ३५ो, तेना पशु, तेना , तेना સ્પશના રૂપમાં વારંવાર પરિણત થાય છે.
(से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ) डे सावन् ! ॥ हेतुथी मेम ४२वाय छ (कण्हलेस्सा नीललेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पाप) वेश्या नीसवेश्याने यावत् शु४सलेश्याने प्राप्त न (ता रूपताए जार मुनो मुज्जो परिणमइ ?) मेना । ३५मा यावत् पार वा२ परिणत थाय छ १ (गोयमा । से जहानामए वेरुलियमणी) गौतम । २ ७ वैडूय भए (सिया किंण्ड सुत्तए वा) ४ायित् ४० सूत्रमा (नीलसुत्तए वा) २०१२ नीस सूत्रमा (लोहियसुत्तए वा) मथqn ane सूत्रमा (हालिहसुत्तए वा) भा२ पापा सूत्रभा (सुकिल्लसुत्तए वा) मार श्वे1 सूत्रमा (आइए समाणे) पाथी (ता रूवत्ताए) तेन। ३५मा (जाव) यावत् (भुज्जो
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