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प्रमेयबोधिनी टीका पद १७ सू.० १८ रसपरिणामनिरूपणम्
२४६ चन्द्रप्रभा इति वा मणीशिला इति वा वरमीधु इति वा वरवारुणी इति वा पत्रासव इति वा पुष्पासव इति वा फलासव इति वा चोयासव इति वा आसब इति वा मधु इति वा मेरेय इति वा कापिशायनमिति वा खजूरसार इति वा मृद्वीकासार इति का सुपक्वेक्षुरस इति का अष्टपिष्टनिष्ठिता इति वा जम्बूफलकालिक इति वा वरप्रसन्ना इति वा मांसलापेशला ईपदोष्ठाचलम्विनी ईपदव्यवच्छेदकटुका ईपत्ताम्राक्षिकरणी उत्कर्पसदप्राप्ता वर्णन उपेता यावत् स्पर्शन आस्वादनीया विस्वादनीया प्रीणनीया वृंहणीया दीपनीया दर्पणीया मदनीया सर्वेन्द्रिय उत्तम सीधु नामक मद्य (वर वारुणीइ वा) उत्तम वारुणी (पत्तासवेइ वा) पत्तो का आसव (पुप्फासवेइ वा) पुष्पालव (फलासवेइ वा) या फलोंका आसव (चोयासवेई वा) चोय का आलव (आसवेइ बा) आसव (महूइ वा मेरएइ वा (कविसाणएइ वा) मधु, मैरेयक या कपिशायन नामक मद्य (खज्जूरसारएइ वा) खजूर-सार (सुद्दियासारएइ वा) द्राक्षाका सार (सुपक्कखोतरसेइ वा) अच्छी तरह पके इक्षुरस (अट्टपिट्टणिहिया) अष्ट पिष्ठ निष्ठिता-आठ पिष्टो से बनी वस्तु विशेष (जंबुफल कालियाइ वा) जंबूफलकालिका (वरप्पसनाइ वा) उत्तम प्रसन्ना नामक मद्य संसला रस से भरपूर (पेसला) रमणिय (इसि) थोडी (ओहबलंबिणी) ओष्ठाबलम्बिनी-मुख को मधुर करने वाली (ईसि वोच्छेदकड़ई) थोडी बाद में कटुक (ईसिं तंबच्छिकरणी) नेत्रों को थोडा ताम्रवर्ण बनाने वाली (उकोसमदपत्ता) उत्कृष्ट मद को प्राप्त (वण्णेणं उववेया जाव फासेणं) वर्ण से यावत् स्पर्श से युक्त (आसायणिज्जा) आस्वादन करने योग्य (वीसायणिज्जा) विशेष रूप से आस्वादनीय (पीणणिज्जा) तृप्तिजनक (बिहणिज्जा) वृद्धिकारिणी (दीवणिज्जा) दीपन करनेवाली (दप्पणिज्जा) दर्पजनक (मयणिज्जा) मदकारिणी (वरसीधूइ वा) उत्तम २॥धु नामनु भय (वरवारुणीइ वा) उत्तम प३९ (पत्तासवेइ वा) पानन! PANA (पु'फासवेइ वा) ५०पासव (फलासवेइ वा) मगर नाना पासव (चोयासवेइ वा) यायनी मास (आसवेइ वा) मास (महूइ वा मेरएइ वा) मधु, भे२४ मगर (कविसाणएइ वा) ॥ ययन नभनु भय (खज्जुरसारएइ वा) मनु२-मार (मुहियासारएइ वा) द्राक्षानो सा२ (सुपक्कखोतरसेइ वा) सारी ते पास सेबीन! २८ (अट्टपिट्टणिद्विया) मटपिट 41-48 nait atथी पनी पस्तु विशेष (जम्बुफलकालियाइ वा) मुनी सिमा (वरपसन्नाइ वा) उत्तम प्रसन्ना नामर्नु भघ (मंसला) २सथा १२५२ (पेसला) २माय (इसि) थाडी (ओट्टवलंबिणी) 24 मिनी भुमन मधुर ४२वाणी (ईसि वोच्छेदकडुई) 2.डीवारमा ४९४ (ईसिं तंवच्छिकरणी) नेत्रान थाताम्र मनावारी (उक्कोसमदपत्ता) Grge महने प्रान्त (वण्णेणं उववेया जाव फासेणं) qथा यावत् २५शथी युत (आसायणिज्जा) मावाहन ४२१। येय (वीसायणिज्जा) विशेष ३५था मापानीय (पीणणिज्जा) तृस्तिन४ (बिहणिज्जा) ४५ १४ (मदणिज्जा) भ६४iel