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उ. गोयमा ! जम्मणं-संतिभावं पडुच्च-कम्मभूमीए होज्जा, नो
अकम्मभूमीए होज्जा। साहरणं पडुच्च-कम्मभूमीए वा होज्जा, अकम्मभूमीए वा होज्जा।
एवं छेदोवट्ठावणिए वि। प. परिहारविसुद्धियसंजए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होज्जा,
अकम्मभूमीए होज्जा? उ. गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होज्जा, नो
अकम्मभूमीए होज्जा,
सेसा जहा सामाइयसंजए। १२. काल-दारंप. सामाइय संजए णं भंते ! किं ओसप्पिणि काले होज्जा,
उस्सप्पिणि काले होज्जा, नो ओसप्पिणि नो उस्सप्पिणि
काले होज्जा? उ. गोयमा ! ओसप्पिणि काले वा होज्जा, उस्सप्पिणि काले वा
होज्जा,
नो ओसप्पिणि-नो उस्सप्पिणि काले वा होज्जा। प. जइ ओसप्पिणि काले होज्जा किं सुसमसुसमा काले होज्जा
जाव दुस्समदुस्समा काले होज्जा? उ. गोयमा ! जम्मणं-संति भावं पडुच्च
१.नो सुसम-सुसमाकाले होज्जा, २.नो सुसमाकाले होज्जा, ३. सुसम-दुस्समाकाले वा होज्जा, ४. दुस्सम-सुसमाकाले वा होज्जा, ५.दुस्समाकाले वा होज्जा, ६. नो दुस्सम-दुस्समा काले होज्जा,
साहरणं पडुच्च-अण्णयरे समाकाले होज्जा। प. जइ उस्सप्पिणि काले होज्जा किं दुस्सम-दुस्समाकाले
होज्जा जाव सुसम-सुसमाकाले होज्जा? उ. गोयमा ! जम्मणं पडुच्च
१. नो दुस्सम-दुस्समाकाले होज्जा, २. दुस्समाकाले वा होज्जा, ३.दुस्सम-सुसमाकाले वा होज्जा, ४. सुसम-दुस्समाकाले वा होज्जा, ५.नो सुसमाकाले होज्जा, ६.नो सुसम-सुसमा काले होज्जा, संतिभावं पडुच्च१.नो दुस्सम-दुस्समाकाले होज्जा, २.नो दुस्समाकाले होज्जा, ३.दुस्सम-सुसमाकाले वा होज्जा, ४. सुसम-दुस्समाकाले वा होज्जा, ५.नो सुसमाकाले होज्जा, ६.नो सुसम-सुसमाकाले होज्जा। साहरणं पडुच्च-अण्णयरे समाकाले होज्जा।
द्रव्यानुयोग-(२) उ. गौतम ! जन्म और अस्तित्व की अपेक्षा-कर्मभूमि में होता है,
अकर्मभूमि में नहीं होता है। साहरण की अपेक्षा कर्मभूमि में भी होता है और अकर्मभूमि में भी होता है।
इसी प्रकार छेदोपस्थापनीय संयत भी जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! परिहारविशुद्धिक संयत क्या कर्मभूमि में होता है या
अकर्मभूमि में होता है? उ. गौतम ! जन्म और अस्तित्व की अपेक्षा-कर्मभूमि में होता है,
अकर्मभूमि में नहीं होता है।
शेष दोनों संयत सामायिक संयत के समान जानने चाहिए। १२. काल-द्वारप्र. भन्ते ! सामायिक संयत क्या अवसर्पिणी काल में होता है,
उत्सर्पिणी काल में होता है या नो अवसर्पिणी नो उत्सर्पिणी
काल में होता है? उ. गौतम ! अवसर्पिणी काल में भी होता है, उत्सर्पिणी काल में
भी होता है,
और नो अवसर्पिणी नो उत्सर्पिणी काल में भी होता है। प्र. यदि अवसर्पिणी काल में होता है तो क्या सुसम-सुसमा काल
में होता है यावत् दुसम-दुसमाकाल में होता है? उ. गौतम ! जन्म और अस्तित्व की अपेक्षा
१. सुसम सुसमा काल में नहीं होता है, २. सुसमाकाल में नहीं होता है, ३. सुसम दुसमा काल में होता है, ४. दुसम सुसमा काल में होता है, ५. दुसमाकाल में होता है, ६. दुसमदुसमा काल में नहीं होता है।
साहरण की अपेक्षा किसी भी काल में होता है। प्र. यदि उत्सर्पिणी काल में होता है तो क्या दुसम-दुसमा काल में
होता है यावत् सुसम-सुसमा काल में होता है? उ. गौतम ! जन्म की अपेक्षा
१. दुसम-दुसमा काल में नहीं होता है, २. दुसमाकाल में होता है, ३. दुसम-सुसमा काल में होता है, ४. सुसम-दुसमा काल में होता है, ५. सुसमाकाल में नहीं होता है, ६. सुसम-सुसमा काल में नहीं होता है। अस्तित्व भाव की अपेक्षा१. दुसम-दुसमा काल में नहीं होता है, २. दुसमा काल में नहीं होता है, ३. दुसम-सुसमा काल में होता है, ४. सुसम-दुसमा काल में होता है, ५. सुसमा काल में नहीं होता है, ६. सुसम-सुसमा काल में नहीं होता है। साहरण की अपेक्षा किसी भी काल में होता है।