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प. द. २. असुरकुमारे णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइ
किरिए? उ. गोयमा ! एवं चेव,
दं.३-२४. एवं जाव वेमाणिय। णवर-मणुस्से जहा जीवे।
प. जीवेणं भंते ! ओरालियसरीरेहिंतो कइ किरिए?
उ. गोयमा ! सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए
प. नेरइएणं भंते ! ओरालिय सरीरेहिंतो कइ किरिए?
उ. गोयमा ! एवं एसो जहा पढमो दंडओ तहा इमो वि
अपरिसेसो भाणियव्वो जाव वेमाणिए। णवरं-मणुस्से जहा जीवे।
प. जीवाणं भंते ! ओरालियसरीराओ कइ किरिया?
उ. गोयमा ! सिय तिकिरिया जाव सिय अकिरिया।
प. नेरइया णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइ किरिया?
उ. गोयमा ! एवं एसोवि जहा पढमो दंडओ तहा भाणियव्वो
जाव वेमाणिया। णवरं-मणुस्सा जहा जीवा।
द्रव्यानुयोग-(२) प्र. दं.२. भंते ! असुरकुमार औदारिक शरीर की अपेक्षा कितनी
क्रियाओं वाला है ? उ. गौतम ! पूर्ववत् क्रियाएं कहनी चाहिए।
दं.३-२४. इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। विशेष-मनुष्य का कथन सामान्य जीव की तरह कहना
चाहिए। प्र. भंते ! एक जीव औदारिक शरीरों की अपेक्षा कितनी क्रियाओं
वाला है? उ. गौतम ! कदाचित् तीन क्रियाओं वाला है यावत् कदाचित्
अक्रिय है। प्र. भंते ! नैरयिक जीव औदारिक शरीरों की अपेक्षा कितनी
क्रियाओं वाला है? उ. गौतम ! जिस प्रकार प्रथम दण्डक में कहा उसी प्रकार यह
दण्डक भी सारा का सारा वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। विशेष-मनुष्य का कथन सामान्य जीवों के समान जानना
चाहिए। प्र. भंते ! बहुत से जीव औदारिक शरीर की अपेक्षा कितनी
क्रियाओं वाले हैं? उ. गौतम ! वे कदाचित् तीन क्रियाओं वाले यावत् कदाचित्
अक्रिय भी हैं। प्र. भंते ! बहुत से नैरयिक जीव औदारिक शरीर की अपेक्षा
कितनी क्रियाओं वाले हैं ? उ. गौतम ! जिस प्रकार प्रथम दण्डक कहा गया है, उसी प्रकार
यह दण्डक भी सारा का सारा वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। विशेष-मनुष्यों का कथन सामान्य जीवों की तरह जानना
चाहिए। प्र. भंते ! बहुत से जीव औदारिक शरीरों की अपेक्षा कितनी
क्रियाओं वाले हैं? उ. गौतम ! वे तीन, चार या पांच क्रियाओं वाले हैं और अक्रिय
भी हैं। प्र. भंते ! बहुत से नैरयिक जीव औदारिक शरीरों की अपेक्षा
कितनी क्रियाओं वाले हैं ? उ. गौतम ! वे तीन, चार या पांच क्रियाओं वाले हैं।
इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त समझना चाहिए। विशेष-मनुष्यों का कथन सामान्य जीवों की तरह जानना
चाहिए। प्र. भंते ! एक जीव वैक्रिय शरीर की अपेक्षा कितनी क्रियाओं
वाला है? उ. गौतम ! कदाचित् तीन या चार क्रियाओं वाला है और अक्रिय
भी है। प्र. भंते ! एक नैरयिक जीव वैक्रिय शरीर की अपेक्षा कितनी
क्रियाओं वाला है? उ. गौतम ! वह कदाचित् तीन या चार क्रियाओं वाला है।
इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। विशेष-मनुष्य का कथन सामान्य जीव की तरह करना चाहिए।
प. जीवाणं भंते ! ओरालियंसरीरेहिंतो कइ किरिया?
उ. गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि,
अकिरिया वि। प. नेरइया णं भंते ! ओरालियसरीरेहिंतो कइ किरिया?
उ. गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि।
एवं जाव वेमाणिया। णवरं-मणुस्सा जहा जीवा।
प. जीवेणं भंते ! वेउव्वियसरीराओ कइ किरिए?
उ. गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय
अकिरिए। प. नेरइएणं भंते ! वेउव्वियसरीराओ कइ किरिए?
उ. गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए।
एवं जाव वेमाणिए। णवर-मणुस्से जहा जीवे।