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मनुष्य गति अध्ययन २. सुद्धे णाममेगे असुद्धे, ३. असुद्धे णाममेगे सुद्धे,
२. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध होते हैं किन्तु स्थिति से अशुद्ध होते हैं, ३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध होते हैं, किन्तु स्थिति से शुद्ध
होते हैं,
४. असुद्धे णाममेगे असुद्धे ।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धे,
२. सुद्धे णाममेगे असुद्धे, ३. असुद्धे णाममेगे सुद्धे, ४. असुद्धे णाममेगे असुद्धे।
(२) चत्तारि वत्था पण्णत्ता,तं जहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धपरिणए, २. सुद्धे णाममेगे असुद्धपरिणए, ३. असुद्धे णाममेगे सुद्धपरिणए, ४. असुद्धे णाममेगे असुद्धपरिणए। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धपरिणए, २. सुद्धे णाममेगे असुद्धपरिणए, ३. असुद्धे णाममेगे सुद्धपरिणए, ४. असुद्धे णाममेगे असुद्धपरिणए।
(३) चत्तारि वत्था पण्णत्ता,तं जहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धरूवे, २. सुद्धे णाममेगे असुद्धरूवे, ३. असुद्धे णाममेगे सुद्धरूवे, ४. असुद्धे णाममेगे असुद्धरूवे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धरूवे २. सुद्धे णाममेगे असुद्धरूवे, ३. असुद्धे णाममेगे सुद्धरूवे,
४. असुद्धे णाममेगे असुद्धरूवे। -ठाणं. अ.४, उ.१, सु. २३९ ७९. सुई-असुई वत्थ दिळेंतेण पुरिसाणं चउभंग परूवणं
४. कुछ वस्त्र प्रकृति से भी अशुद्ध होते हैं और स्थिति से भी
अशुद्ध होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष जाति से भी शुद्ध होते हैं और गुण से भी शुद्ध
होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं किन्तु गुण से अशुद्ध होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं, किन्तु गुण से शुद्ध होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से भी अशुद्ध होते हैं और गुण से भी अशुद्ध
होते हैं। (२) वस्त्र चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध और शुद्ध रूप में परिणत होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध किन्तु अशुद्ध रूप में परिणत होते हैं, ३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध किन्तु शुद्ध रूप में परिणत होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध और अशुद्ध रूप में परिणत होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्ध रूप में परिणत होते हैं २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध किन्तु अशुद्ध रूप में परिणत होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध किन्तु शुद्ध रूप में परिणत होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से भी अशुद्ध और अशुद्ध रूप में परिणत
होते हैं। (३) वस्त्र चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध और शुद्ध रूप वाले होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध किन्तु अशुद्ध रूप वाले होते हैं, ३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध किन्तु शुद्ध रूप वाले होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध और अशुद्ध रूप वाले होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष प्रकृति से शुद्ध और शुद्ध रूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष प्रकृति से शुद्ध किन्तु अशुद्ध रूप वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष प्रकृति से अशुद्ध किन्तु शुद्ध रूप वाले होते है,
४. कुछ पुरुष प्रकृति से अशुद्ध और अशुद्ध रूप वाले होते हैं। ७९. पवित्र-अपवित्र वस्त्रों के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का
प्ररूपण(१) वस्त्र चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ वस्त्र प्रकृति से भी पवित्र होते हैं और परिष्कार करने से
भी पवित्र होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से पवित्र होते हैं, किन्तु अपरिष्कृत होने से
अपवित्र होते हैं, ३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अपवित्र होते हैं, किन्तु परिष्कार करने से
पवित्र होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति से भी अपवित्र होते हैं और अपरिष्कृत होने
से भी अपवित्र होते हैं।
(१) चत्तारि वत्था पण्णत्ता,तं जहा१. सुई णाममेगे सुई,
२. सुई णाममेगे असुई,
३. असुई णाममेगे सुई,
४. असुई णाममेगे असुई।