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देव गति अध्ययन
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उ. गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समय उक्कोसेणं छम्मासा।
__ -जंबू. वक्ख. ७, सु. १७४ १८. देवकिब्बिसियाणं भेया ठाण य परूवणं
प. कइविहाणं भन्ते ! देविकिब्बिसिया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! तिविहा देवकिब्बिसिया पण्णत्ता,तं जहा
१. तिपलिओवमट्ठिईया, २. तिसागरोवमट्ठिईया,
३. तेरससागरोवमट्ठिईया। प. कहि णं भन्ते ! तिपलिओवमट्ठिईया देवकिब्बिसिया
परिवसंति? उ. गोयमा ! उप्पिं जोइसियाणं हिदि सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु
एत्थ णं तिपलिओवमट्ठिईया देवकिब्बिसिया परिवसंति। प. कहि णं भंते ! तिसागरोवमट्ठिईया देवकिब्बिसिया
परिवंसंति? उ. गोयमा ! उप्पिं सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं हेटिंठ सणंकुमार
माहिंदेसु कप्पेसु एत्थ णं तिसागरोवमट्टिईया
देवकिब्बिसिया परिवसंति। प. कहिणं भंते ! तेरससागरोवमट्ठिईया देवकिब्बिसिया देवा
परिवसति? उ. गोयमा ! उप्पिं बंभलोगस्स कप्पस्स, हेट्ठि लंतए कप्पे एत्थ ___णं तेरससागरोवमट्टिईया देवकिब्बिसिया देवा परिवसति।
-विया. स. ९, उ.३३, सु. १०४-१०७ १९. आहेवच्चकराणं इंदाणं लोगपालाणं नामाणि
रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासि
सी
उ. गौतम ! वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट छः मास इन्द्रोत्पत्ति
से विरहित रहता है। १८.किल्यिषिक देवों के भेद और स्थानों का प्ररूपण
प्र. भन्ते ! किल्विषिक देव कितने प्रकार के कहे गए हैं ? - उ. गौतम ! किल्विषिक देव तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. तीन पल्योपम की स्थिति वाले, २. तीन सागरोपम की स्थिति वाले,
३. तेरह सागरोपम की स्थिति वाले। प्र. भन्ते ! तीन पल्योपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव कहां
रहते हैं? उ. गौतम ! ज्योतिष्क देवों के ऊपर और सौधर्म ईशान कल्पों के
नीचे तीन पल्योपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव रहते हैं। प्र. भंते ! तीन सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव कहां
रहते हैं ? उ. गौतम ! सौधर्म और ईशानकल्पों के ऊपर तथा सनत्कुमार
और माहेन्द्रकल्प के नीचे की प्रतर में तीन सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव रहते हैं। प्र. भंते ! तेरह सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव कहां
रहते हैं? उ. गौतम ! ब्रह्मलोक कल्प के ऊपर तथा लान्तक कल्प के नीचे
की प्रतर में तेरह सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव
रहते हैं। १९.आधिपत्य करने वाले इन्द्र और लोकपालों के नाम
राजगृह नगर में यावत् पर्युपासना करते हुए गौतम स्वामी ने
इस प्रकार पूछाप्र. १. भते ! असुरकुमार देवों पर कितने देव आधिपत्य करते
हुए यावत् विचरण करते रहते हैं ?, उ. गौतम ! असुरकुमार देवों पर दस देव आधिपत्य करते हुए
यावत् विचरण करते रहते हैं, यथा- । १. असुरेन्द्र असुरराज चमर, २. सोम,
३. यम, ४. वरुण,
५. वैश्रमण, ६. वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बलि, ७. सोम,
८. यम, ९. वरुण,
१०. वैश्रमण। प्र. २. भंते ! नागकुमार देवों पर कितने देव आधिपत्य करते हुए
यावत् विचरण करते हैं? उ. गौतम ! नागकुमार देवों पर दस देव आधिपत्य करते हुए
यावत् विचरण करते हैं, यथा१. नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण, २. कालपाल,
३. कोलपाल, ४. शैलपाल,
५. शंखपाल,
प. १.असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं कइ देवा आहेवच्चं जाव
विहरंति? उ. गोयमा ! दस देवा आहेवच्चं जाव विहरंति,तं जहा
१. चमरे असुरिंदे असुरराया, २. सोमे,
३. जमे, ४. वरुणे,
५. वेसमणे, ६. बली वइरोयणिंदे वइरोयणराया, ७. सोमे,
८. जमे, ९. वरुणे, १०. वेसभणे। प. २. नागकुमाराणं भंते ! देवाणं कइ देवा आहेवच्चं जाव
विहरंति? उ. गोयमा ! दस देवा आहेवच्चं जाव विहरंति,तं जहा
१. धरणे नागकुमारिंदे नागकुमार राया, २. कालवाले, ३. कोलवाले, ४. सेलवाले,
५. संखवाले, १. (क) जीवा. पडि. ३, सु. १७९ (ल) विषा.स.८, उ. ८, सु. ४७
(ग) सूरिय. पा.१९, सु.१००